तीन साल पहले डोकलाम विवाद के बाद एक बार फिर भारत और चीन के बीच तनातनी का माहौल बन गया है. एशिया के इन दो देशों के मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कूद गये और उन्होंने मध्यस्थता करने की पेशकश कर दी है. भारत व चीन के बीच सीमा विवाद पर पहली बार अमेरिका या किसी दूसरे देश ने टिप्पणी की है. बताया जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ से बयान देना ही मामले की गंभीरता को बता रहा है. 2017 में डोकलाम क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हाथापाई और छीना-झपटी के वीडियो वायरल हुए थे और कई दिनों के बाद ये तनातनी खत्म हुई थी.
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भारत और चीन के बीच ताजा विवाद लद्दाख को लेकर है. यहां के दो इलाकों में 9 और 10 मई से ही सीमा के दोनों ओर हजार से ज्यादा सैनिक आमने-सामने आ चुके हैं. हालांकि, दोनों देश राजनयिक स्तर पर इस विवाद को सुलझाने में जुटे हुए हैं. लद्दाख क्षेत्र में दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियां एक-दूसरे से कुछ सौ मीटर की दूरी पर तैनात हैं और दोनो तरफ से सैनिकों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है. चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत के साथ सीमा पर उत्पन्न तनाव को स्थिर व नियंत्रण में बताया है.चीनी सैनिकों के लद्दाख के क्षेत्र में भारतीय सीमा में घुस आने और टेंट बनाये जाने की स्थिति को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एनएसए अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस बिपिन रावत व तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक की थी. इस बैठक को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में काफी प्रमुखता से जगह दी गई है. इससे पहले भारतीय सेना प्रमुख नरवणे ने लद्दाख का दौरा किया था.
बीते हफ्ते भारत ने कहा था कि गालवन घाटी के किनारे चीनी सेना के कुछ टेंट देखे गए हैं. इसके बाद भारत ने भी वहां फौज की तैनाती बढ़ा दी है. वहीं, चीन का आरोप है कि भारत गालवन घाटी के पास रक्षा संबंधी गैर-कानूनी निर्माण कर रहा है. भारत और चीन बार-बार अलग-अलग इलाकों में इस तरह के विवादों में उलझ जाते हैं. इसकी क्या वजह है?भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का इतिहास वैसे तो दशकों पुराना है लेकिन ताजा तनाव की तीन प्रमुख वजहें दिखती हैं. ये दो ऐसे पड़ोसी हैं जिनकी फौजों की तादाद दुनिया में पहले और दूसरे नंबर पर बताई जाती हैं और जिनके बीच परस्पर विरोध का एक लंबा इतिहास रहा है.
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इस बार भी वही इलाके दोबारा चर्चा में हैं जहां 1962 में दोनों के बीच एक जंग भी हो चुकी है. तनाव की बड़ी वजह पिछले कुछ सालों में भारतीय सीमा क्षेत्रों में तेज होता निर्माण कार्य भी हो सकती है. बीबीसी के मुताबिक, रक्षा मामलों के जानकार अजय शुक्ला बताते हैं कि ‘सड़कें एक बड़ी वजह है.’भारतीय थल सेना के पूर्व प्रमुख जनरल वीपी मालिक को लगता है, चीन की बढ़ी हुई बेचैनी की एक और वजह है. चीनी सैनिकों का एक तरीका रहा है क्रीपिंग (रेंगते हुए आगे बढ़ना). गतिविधियों के जरिए विवादित इलाकों को धीरे-धीरे अपने अधिकार क्षेत्र में शामिल कर लेना. लेकिन इसके विकल्प कम होते जा रहे हैं क्योंकि अब भारतीय सीमा पर विकास हो रहा है और पहुंच बढ़ रही है. रिपोर्ट बताते हैं कि पिछले पांच सालों से भारतीय सीमाओं को बेहतर बनाने पर ज़्यादा ध्यान बढ़ाया गया है.
कोरोना महामारी के कारण दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाएं पिछले 5 माह कराह रही हैं. चीन, अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व समेत भारत और दक्षिण एशिया के देशों की न केवल विकास दरें अप्रत्याशित रूप से गिरी हैं बल्कि बढ़ती बेरोजगारी और ठप होते व्यवसायों को पटरी पर लाने के लिए सरकारों को लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं. इस सब के बीच 17 अप्रैल को भारत सरकार ने देश में होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई के नियमों को उन पड़ोसियों के लिए और कड़ा कर दिया जिनकी सीमाएं आपस में मिलती हैं. नये नियम के तहत किसी भी भारतीय कंपनी में हिस्सा लेने से पहले सरकारी अनुमति लेना अब अनिवार्य कर दिया गया है.
चूंकि पड़ोसियों में सबसे अधिक व्यापार चीन के साथ है तो इसका सबसे अधिक असर भी उसी पर होगा. इस फैसले की प्रमुख वजहों में से एक थी चीन के सेंट्रल बैंक ‘पीपल्स बैंक ऑफ चाइना’ का भारत के सबसे बड़े निजी बैंक ‘एचडीएफसी’ के 1.75 करोड़ शेयरों की खरीद. इससे पहले तक चीन भारतीय कंपनियों में ‘बेधड़क’ निवेश करता रहा है. विशेषज्ञ कहते हैं कि अब अगर भारत ने एकाएक अपनी एफडीआई नीति में एक बड़ा बदलाव किया तो काफी सम्भव है कि चीन की विदेश नीति इससे थोड़ा असहज महसूस कर रही हो और इसी चिढ़ में सीमा पर तनाव बढ़ा हो.
हाल ही में 194 सदस्य देशों वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक प्रस्ताव पेश किया गया कि इस मामले की जांच होनी चाहिए कि दुनिया भर में नुकसान पहुचाने वाला कोरोना वायरस कहां से शुरू हुआ. ये असेंबली विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की प्रमुख नीति निर्धारक इकाई है. दूसरे देशों के अलावा भारत ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था. चीन इस समय कोरोना वायरस को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहा है लेकिन इसके बावजूद चीन ने पुरजोर विरोध किया है.
हिंदुस्तान टाइम्स अखबार में रक्षा सम्बंधी मामले कवर करने वाले पत्रकार राहुल सिंह मानते हैं कि, वुहान में कोरोना के फैलने और उसके बाद वैश्विक निंदा के बीच भारत-चीन सीमा पर विवाद की खबरें सामने आने से फोकस तो बदल ही सकता है.ऐसे वक्त में में जब अमेरिका और भारत में राजनीतिक नेताओं का कोरोना वायरस से जुड़े आंतरिक मामलों के कारण ध्यान बंटा हुआ है, चीन के लिए ये एक मौका है कि वो कैसे इन दोनों इलाकों में फायदा उठाए जिसे कोरोना महमारी खत्म होने के बाद बदला न जा सके.भारत चीन सीमा पर बढ़ी गतिविधियों की वजह इन तीनों के अलावा भी हो सकती हैं और इस पर बहस आगे भी जारी रहेगी.