नयी दिल्ली : चीन से सीमा पर तनाव के बाद भारत सरकार 50 चीनी कंपनियों के निवेश प्रस्ताव पर एक्शन की तैयारी में है, ये सभी प्रस्ताव ने भारतीय बाजार में निवेश को लेकर है. बताया जा रहा है कि सरकार इसकी समीक्षा को लेकर एक कमिटी भी गठित कर दी है. कमिटी जल्द ही इसपर अपनी रिपोर्ट दे सकती है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने नयी स्क्रीनिंग पॉलिसी लाई है, जिसके अनुसार भारत में अब कोई भी बाहरी कंपनी को निवेश करने से पहले केंद्र सरकार से मंजूरी लेना अनिवार्य किया है. सरकार ने इसी नियम के तहत चीनी कंपनियों की रिव्यू कर रही है.
चीन के विस्तारवादी अभियान पर चोट– बता दें कि भारत सरकार के इस नियम के बाद चीन ने विस्तरवादी अभियान पर करारा चोट लगा है. चीन एशिया बाजार में जिस तरह अपना पांव पसार रहा था, उसे भारत ने अब लगभग रोक दिया है. भारत में अब किसी भी चीनी कंपनियों को निवेश करने के लिए सरकार से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा, जिसके बाद चीनी कंपनियों को मंजूरी लेने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है.
पीछे हटा चीन- इससे पहले, सोमवार को भारत और चीन के सैनिकों के बीच पैंगोंग सो, गलवान घाटी और गोग्रा हॉट स्प्रिंग सहित पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में आठ सप्ताह से गतिरोध जारी के बीच चीनी सैनिक पीछे हटे हैं. चीनी सेना ने गलवान घाटी और गोग्रा हॉट स्प्रिंग से सोमवार को अपने सैनिकों की वापसी शुरू कर दी. विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा से सैनिकों का पूरी तरह पीछे हटना और सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव में कमी सुनिश्चित करना आवश्यक है.
अब दे चुका है ये झटका– चीन की सीमा पर तनाव के बाद से ही भारत ने आर्थिक रूप से ड्रैगन को झटका देने में लगी है. मोदी सरकार ने एलएसी पर हुई हिंसक झड़प के बाद से ही चीन के खिलाफ कठोर कदम उठाते हुए टिकटोक सहित 59 ऐप पर बैन, रेलवे में 417 करोड़ का टेंडर और आगरा मेट्रो कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट रद्द कर दिया है. सरकार के इस फैसले से चीन को करोड़ों का आर्थिक नुकसान हुआ है.
Posted By : Avinish Kumar Mishra