चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अरुणाचल प्रदेश के 5 भारतीय नागरिकों को रिहा कर दिया है. इससे पहले केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश से लापता हुए पांच युवकों को चीनी सेना शनिवार को भारतीय अधिकारियों को सौंप सकती है. आपको बता दें कि पीएलए ने मंगलवार को कहा था कि चार सितंबर को अपर सुबनसिरी जिले में भारत-चीन सीमा से लापता हुए पांच युवक उन्हें सीमापार मिले थे.
रिजिजू का ट्वीट : रिजिजू ने शुक्रवार को ट्वीट किया, चीन की पीएलए ने भारतीय सेना से इस बात की पुष्टि की है कि वह अरुणाचल प्रदेश के युवकों को हमें सौंप देंगे. उन्हें कल 12 सितंबर को किसी भी समय एक निर्दिष्ट स्थान पर सौंपा जा सकता है. रिजिजू ने ही पहली बार इसकी सूचना दी थी कि पीएलए ने इस बात की पुष्टि की थी कि युवक सीमा पार चीन में पाए गए हैं.
क्या है घटना : यह घटना तब सामने आई थी जब एक समूह के दो सदस्य जंगल में शिकार के लिए गए थे और लौटने पर उन्होंने उक्त पांच युवकों के परिवार वालों को जानकारी दी थी कि युवकों को सेना के गश्ती क्षेत्र सेरा-7 से चीनी सैनिक ले गए हैं. यह स्थान नाचो से 12 किलोमीटर उत्तर में स्थित है. मैकमोहन रेखा पर स्थित नाचो अंतिम प्रशासनिक क्षेत्र है और यह दापोरीजो जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर है.
इन्हें किया अगवा : चीनी सेना द्वारा कथित तौर पर अगवा किए गए युवकों की पहचान तोच सिंगकम, प्रसात रिंगलिंग, डोंगतु एबिया, तनु बाकर और नगरु दिरी के रूप में की गई है.
पांच सूत्री खाके पर सहमति : इधर पूर्वी लद्दाख में चार महीने से जारी गतिरोध को दूर करने के लिए भारत-चीन ने सुरक्षा बलों को एलएसी से तुरंत पीछे हटाने और तनाव बढ़ानेवाली कार्रवाई से बचने समेत पांच सूत्री खाके पर सहमति जतायी. दोनों देशों ने माना कि सीमा पर मौजूदा तनाव किसी के हित में नहीं है. मॉस्को में विदेश मंत्री एस जयशंकर व उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच करीब ढाई घंटे चली वार्ता में इसपर सहमति बनी. इस दौरान भारत ने चीन से दो टूक कहा कि वह पूर्वी लद्दाख में उकसावेपूर्ण कार्रवाई से बाज आये और वहां सैन्यबलों का जमावड़ा नहीं करे. भारत के इस हमले से चीन पूरी तरह घिर गया. भारत ने चीन से संकेत की भाषा में कहा कि वह पूर्वी लद्दाख में गलत इरादे रखना छोड़ दे, वरना परिणाम भुगतने होंगे.
Posted By : Amitabh Kumar