पूर्वी लद्दाख में गालवन क्षेत्र पर भारत और चीन के बीच अब तनाव घटने के संकेत मिल रहे हैं. चीन ने गालवन में तैनात अपने सैनिक और बख्तरबंद गाड़ियां ढाई किलोमीटर पीछे बुला ली हैं. भारत ने भी इस इलाके में तैनात अपने जवानों की संख्या कम की है. इधर, बुधवार को फिर भारत और चीन सेना के मेजर जनरल स्तर पर बातचीत होने जा रही है. इस बैठक से तय होगा कि भारत और चीन के बीच तनाव किस हद तक कम होगा.
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टीओआई के अनुसार, चीन ने पूर्वी लद्दाख के गलवान क्षेत्र में तैनात किए अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है. वह पैंगोंग त्सो सेक्टर से अपने सैनिकों को बाहर निकाल रहा है. पिछले एक महीने से चीन ने अपने सैनिकों को यहां तैनाती की थी, जिस कारण भारतीय सेना के साथ चीन का गतिरोध हो रहा था. सेना के शीर्ष अधिकारियों ने जानकारी दी कि चीनी ने अपने सैनिकों को वापस लेने की प्रक्रिया एक दिन पहले ही शुरु कर दी थी.
मंगलवार को अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना भी अपने सैनिकों को वापस भेज रही है. अधिकारी ने बताया कि तीन अलग-अलग स्थानों पर पहले की स्थिति बहाल की गई है. वहीं चौथी जगह पर प्रक्रिया चल रही है .बता दें कि पांच मई के बाद से लद्दाख के कई क्षेत्रों में भारत और चीन के सुरक्षाबल आमने-सामने आए थे.
पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के बीच लगातार चल रहे तनाव और कम करने के लिए बुधवार (10 जून) को दोनों देशों के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत होगी। फील्ड कमांडरों के बीच भी वार्ता होगी. उम्मीद की जा रही है कि कुछ और सकारात्मक नतीजे निकलेंगे. सेना के 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेट जनरल हरिंदर सिंह और चीन के दक्षिणी शिंजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक के कमांडर मेजर जनरल लियु लिन के बीच पिछली वार्ता हुई थी.
सूत्रों के मुताबिक, गतिरोध के चार पॉइंट्स में से पेट्रोलिंग पॉइंट 15 और हॉट स्प्रिंग एरिया से सैनिक कुछ पीछे हटे हैं. गलवान घाटी से 3 जून को ही चीनी सैनिक करीब 2 किलोमीटर पीछे चल गए थे. गतिरोध के चार पॉइंट्स की पहचान की गई जो पैंगोग त्सो एरिया में फिंगर-4, गलवान वैली में पेट्रोलिंग पॉइंट-14, पेट्रोलिंग पॉइंट-15 और हॉट स्प्रिंग एरिया है.
मई की शुरुआत में ही सेना ने पीएम को जानकारी दी थी
रिपोर्ट के मुताबिक, चार मई को जब चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास अपनी सेना और गतिविधियां बढ़ानी शुरू की थीं, तभी भारतीय सेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कैबिनेट के सदस्यों को इस बारे में जानकारी दी थी. न्यूज एजेंसी एएनआई को सूत्रों ने बताया कि जब से चीन ने सीमा के पास अपनी ताकत बढ़ानी शुरू की तभी से भारतीय सेना ने भी उसे जवाब देने के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दिया था.