India China Face Off: डेपसांग में 15 हजार चीनी सैनिकों का जमावड़ा, मेजर जनरल लेवल की वार्ता जारी
नयी दिल्ली : गलवान घाटी घटना (Galwan Valley) के बाद चीन के साथ जारी तनाव को कम करने के लिए दोनों देश प्रयास कर रहे हैं. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान क्षेत्र के उत्तर में डेपसांग के मैदानी इलाकों से सैनिकों को हटाने के लिए भारत और चीन (India China Border Dispute) के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत जारी है. यह बातचीत दौलत बेग ओल्डी में चल रही है. अब तक कई स्तर की बातचीत हो चुकी है. कुछ क्षेत्रों में दोनों देश अपने सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत भी हुए है.
नयी दिल्ली : गलवान घाटी घटना (Galwan Valley) के बाद चीन के साथ जारी तनाव को कम करने के लिए दोनों देश प्रयास कर रहे हैं. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान क्षेत्र के उत्तर में डेपसांग के मैदानी इलाकों से सैनिकों को हटाने के लिए भारत और चीन (India China Border Dispute) के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत जारी है. यह बातचीत दौलत बेग ओल्डी में चल रही है. अब तक कई स्तर की बातचीत हो चुकी है. कुछ क्षेत्रों में दोनों देश अपने सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत भी हुए है.
अब बारी डेपसांग की है. यहां भी विवाद को बातचीत के जरिए हल करने का प्रयास किया जा रहा है. भारत की तरफ से 3 माउंटेन डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल अभिजीत बापट वार्ता की अगुवाई कर रहे हैं. जबकि, चीन की ओर से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सीनियर कर्नल हान रुई थे बैठक की अगुवाई कर रहे हैं. डेपसांग के विपरीत दिशा में लगभग 15,000 चीनी सैनिकों का बड़ा जमावड़ा देखा गया है. एलएसी पर चीन लगातार अपने सैनिकों की तैनाती कर रहा है.
एक सप्ताह पहले ही दोनों देशों की सेनाओं ने सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया तेज करने के प्रयास में कोर कमांडर (लेफ्टिनेंट जनरल) स्तर की पांचवें दौर की बातचीत की थी. सैन्य वार्ता में भारतीय पक्ष जल्द से जल्द चीनी सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने की प्रक्रिया पर और पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में पांच मई से पहले के अनुसार यथास्थिति तत्काल बहाल करने पर जोर दे रहा है.
पांच मई को पैंगोंग सो में दोनों सेनाओं के बीच टकराव के बाद गतिरोध की स्थिति बन गयी थी. सूत्रों के अनुसार चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने गलवान घाटी और कुछ अन्य गतिरोध स्थलों से सैनिकों को वापस बुला लिया है लेकिन पैंगोंग सो, गोगरा और डेपसांग में फिंगर क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है. भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि चीन को फिंगर चार और आठ के बीच के क्षेत्रों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए.
सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया छह जुलाई को शुरू हुई थी। इससे एक दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने क्षेत्र में तनाव कम करने के तरीकों पर करीब दो घंटे तक बातचीत की थी. घटनाक्रम के जानकार लोगों के अनुसार शनिवार की वार्ता में दौलत बेग ओल्डी और डेपसांग इलाकों में सैनिकों के पीछे की हटने की प्रक्रिया पर प्रमुखता से ध्यान दिया जा रहा है.
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एलएसी के पास सेना, वायुसेना को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश
सूत्रों ने बताया कि जमीनी हालात को देखते हुए भारतीय सेना और वायुसेना ने लद्दाख, उत्तर सिक्किम, उत्तराखंड तथा अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर सभी इलाकों में तब तक बहुत उच्च स्तर की अभियान संबंधी तैयारियां रखने का फैसला किया है, जब तक चीन के साथ सीमा विवाद का ‘संतोषजनक’ समाधान नहीं निकल जाता. उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने एलएसी पर अग्रिम क्षेत्रों में अभियान की निगरानी कर रहे सेना के सभी वरिष्ठ कमांडरों को बता दिया है कि उच्च स्तर की सतर्कता बरती जाए और चीन के किसी भी ‘दुस्साहस’ से निपटने के लिए आक्रामक रुख बरकरार रखा जाए.
चीनी सेना द्वारा पैंगोंग सो, डेपसांग और गोगरा जैसे टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पर आगे नहीं बढ़ने के मद्देनजर अत्यधिक चौकसी बरतने का नया दिशा-निर्देश जारी किया गया है. भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में और एलएसी पर अन्य सभी संवेदनशील क्षेत्रों में कड़ाके की सर्दी के मौसम में एलएसी पर सैनिकों और हथियारों की मौजूदा संख्या बरकरार रखने के लिए विस्तृत योजना तैयार की है. सेना अग्रिम मोर्चे पर तैनात जवानों के लिए बड़ी संख्या में हथियार, गोला-बारूद और विंटर गियर खरीदने की प्रक्रिया से गुजर रही है. एलएसी पर ऊंचाई वाले कुछ इलाकों में सर्दी के मौसम में तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है.
Posted by: Amlesh Nandan Sinha.