पिथौरागढ़ : चीन सीमा तक पहुंचाने वाले बैली ब्रिज (bailey bridge) को बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) ने महज 6 दिन में बनाकर तैयार कर दिया. इस पुल को रिकॉर्ड समय में तैयार कर लिया गया है. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित मुनस्यारी में बैली ब्रिज 22 जून को टूट गया था. एक भारी ट्रक के पार होने के समय ही यह पुल भरभराकर ट्रक समेत खाई में समा गया था. यह ब्रिज चीन की सीमा तक पहुंचने के लिए बेहद अहम है.
ज्ञात हो कि चीन और भारत के बीच तनाव की स्थिति में चीनी सीमा पर सड़क बनाने का काम जोर-शोर से चल रहा है. बीआरओ पहाड़ों को काटकर सड़क बनाने के काम में लगा हुआ है. ऐसे में वहां तक भारी मशीनरी पहुंचाने के लिए यह ब्रिज बेहद अहम है. इसी रास्ते जरूरी सामान सीमा तक पहुंचाये जाते हैं.
जिस वक्त यह पुल टूटा, उस समय एक ट्रक में पोकलेन को सीमा पर सड़क निर्माण कार्य के लिए पहुंचाया जा रहा था. ट्रक के साथ दो शख्स भी घाटी में गिर गये और गंभीर रूप से घायल हो गये थे. दोनों का अस्पताल में इलाज चल रहा है. सामरिक दृष्टि से भी यह पुल काफी महत्वपूर्ण है.
इस पुल को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने कड़ी मेहनत से सिर्फ 6 दिन में ही बनाकर तैयार कर लिया. इसे बनाने में करीब 70 मजदूरों ने दिन-रात मेहनत की. वहीं बीआरओ को कई विषम भौगोलिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा. 22 जून को एक अधिकारी ने बताया था कि 40 फुट लंबा और 2009 में निर्मित बेली पुल की भार सहने की क्षमता उसके उपर से गुजरने वाले भारी ट्रक और उसपर लदी जेसीबी मशीन के कुल बोझ से कम थी इसलिए वह टूट गया.
पुल की भार सहने की क्षमता 18 टन थी लेकिन ट्रक और जेसीबी का कुल भार 26 टन था. उन्होंने बताया कि दोनों घायलों को मुनस्यारी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुल के टूटने से जौहार घाटी के करीब 15 सीमांत गांवों का संपर्क कट गया है. यह सड़क चीन से लगनी वाली सीमा को सीधे उत्तराखंड से जोड़ती है. सीमावर्ती गांव मिलम में 60 किलोमीटर लंबे सड़क का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है.
Posted By: Amlesh Nandan Sinha.