भारत चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर लेकर बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने यह स्पष्ट कर दिया है कि लो भारत के साथ है. अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि हिमालय से दक्षिण चीन सागर तक इंडो-पैसिफिक में चीन के बढ़ते आक्रामक व्यवहार को देखते हुए, यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि हम भारत जैसे दिमाग वाले साझेदारों के साथ काम करें.
इससे पहले चीन के राष्ट्रपति राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने धमकी भरे अंदाज में भारत और अमेरिका को चेतावनी दी है. शी जिनपिंग ने कहा कि यदि चीन के सुरक्षा हितों और संप्रुभता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई तो हम खाली हाथ नहीं बैठेंगे. जिनपिंग ने कहा कि चीन के लोग किसी भी मुश्किल परिस्थिति में मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं.
जिनपिंग ने कहा कि चीन किसी भी देश के ऊपर आधिपत्य स्थापित करने या विस्तारवाद को बढ़ावा देने की नीति पर काम नहीं कर रहा है और ना ही करेगा. चीन ने धमकी भरे अंदाज में कहा कि उनकी नीति विस्तारवाद की नहीं है लेकिन यदि कोई उनकी संप्रुभता, सुरक्षा और विकास हितों की अनदेखी करने की कोशिश करता है तो चीन खाली या चुप नहीं बैठेगा.
जिनपिंग ने कहा कि किसी को भी चीनी क्षेत्र में अतिक्रमण करने या उसका बंटवारा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. बता दें कि चीन बीते काफी समय से पड़ोसी देशों के संबंध में विस्तारवादी नीतियों के लिए कुख्यात रहा है.
ऐसा नहीं है कि अमेरिका ने पहली बार चीन के बारे में ऐसी बात कही है इससे पहले भी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा था कि चीन ने भारत की उत्तरी सीमा पर 60,000 सैनिक तैनात किये हैं. साथ ही पोंपियो ने चीन के खराब बर्ताव और क्वाड समूह के देशों के लिए नजर आ रहे खतरों को लेकर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार की खिंचाई की. उन्होंने कहा कि भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका (क्वाड देश) को चीन की ओर से पेश खतरों से जुड़े वास्तविक जोखिम हैं.
इधर, अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा है कि भारत से लगती सीमा पर ताकत के बल पर नियंत्रण करने की चीन की कोशिश उसकी विस्तारवादी आक्रामकता का हिस्सा है. यह कबूलने का वक्त आ गया है कि बातचीत से चीन अपना आक्रामक रुख नहीं बदलने वाला.
Posted By: Pawan Singh