चीन ने बुधवार को कहा कि भारत के साथ सीमा पर हालात पूरी तरह स्थिर और नियंत्रण-योग्य हैं तथा दोनों देशों के पास बातचीत और विचार-विमर्श करके मुद्दों को हल करने के लिए उचित तंत्र और संचार माध्यम हैं.
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच चल रहे गतिरोध की पृष्ठभूमि में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ये टिप्पणियां कीं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सीमा से संबंधित मुद्दों पर चीन का रुख स्पष्ट और सुसंगत है.
उन्होंने कहा, हम दोनों नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति और दोनों देशों के बीच हुए समझौते का सख्ती से पालन करते रहे हैं. वह चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो अनौपचारिक बैठकों के बाद उनके उन निर्देशों का जिक्र कर रहे थे जिनमें उन्होंने दोनों देशों की सेनाओं को परस्पर विश्वास पैदा करने के और कदम उठाने के लिए कहा था.
China says situation at India border is "overall stable and controllable"
— Press Trust of India (@PTI_News) May 27, 2020
चीन की हरकतों को देखते हुए सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे अपने शीर्ष कमांडरों के साथ बैठक कर रहे हैं. बैठक में चीन के भारतीय सीमा में घुसने समेत अन्य सुरक्षा की स्थिति पर चर्चा होगी. वहीं पूर्वी लद्दाख सीमा पर चीन के साथ जारी तनातनी के बीच भारत अपने सख्त रुख पर कायम है. मामले पर एस एल नरसिम्हन (सदस्य राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड और DG समकालीन चीन अध्ययन केंद्र) ने कहा कि पहले भी भारत और चीन में इस तरह के फेस ऑफ हो चुक हैं. ज्यादा तनावपूर्ण स्थिति नहीं है. इसे बढ़ाचढ़ा कर बोलने की जगह इंडियन आर्मी को अपना काम जमीन पर प्रोफेशनल तरीके से करने दें. आगे नरसिम्हन ने कहा कि लोकल कमांडर्स, हायर लेवल मिलिट्री कमांडर्स और राजनयिकों के बीच में रोजाना बातचीत जारी है. हायर लेवल मिलिट्री कमांडर्स की बैठक दो बार (22 और 23 को) हुई है. उम्मीद है कि आगे और भी मीटिंग्स होंगी. इन मीटिंग्स के जरिए ये मसला सुलझाया जा सकता है.
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पूर्वी लद्दाख सीमा पर भारत और चीनी सैनिकों के दरम्यान तनाव बढ़ने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक की, जिसमें बाह्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये भारत की सैन्य तैयारियों को मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया. समझा जाता है कि शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने मोदी को पूर्वी लद्दाख में उभरती स्थिति की जानकारी दी.
Face-offs have been occurring earlier too, they're nothing new. Indian Army can handle the situation well on the ground: Lt Gen (Retd) SL Narasimhan, Member, National Security Advisory Board & Director General, Centre for Contemporary China Studies pic.twitter.com/NgMzRLJQfP
— ANI (@ANI) May 27, 2020
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि भारत और चीन के बीच पिछले 20 दिनों से जारी गतिरोध के बीच भारतीय सेना ने उत्तरी सिक्किम, उत्तराखंड और अरूणाचल प्रदेश के साथ लद्दाख से जुडे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी को मजबूत बनाया है, जो ऐसा संदेश देने के लिये है कि भारत, चीन के आक्रामक सैन्य रुख के दबाव में बिल्कुल नहीं आयेगा. गौरतलब है कि लद्दाख में स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच 5 मई को झड़प हो गई और इसके बाद स्थानीय कमांडरों के बीच बैठक के बाद दोनों पक्षों में कुछ सहमति बन सकी. इस घटना में भारतीय और चीनी पक्ष के 100 सैनिक घायल हो गए थे. इस घटना पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. 9 मई को उत्तरी सिक्किम में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी.
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सबसे खराब स्थिति की कल्पना करते हुए सेना को युद्ध की तैयारियां तेज करने का मंगलवार को आदेश दिया और उससे पूरी दृढ़ता से देश की सम्प्रभुता की रक्षा करने को कहा. देश की सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के महासचिव और करीब 20 लाख सैनिकों वाली सेना के प्रमुख 66 वर्षीय शी ने यहां चल रहे संसद सत्र के दौरान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और पीपुल्स आर्म्ड पुलिस फोर्स के प्रतिनिधियों की पूर्ण बैठक में हिस्सा लेते हुए यह टिप्प्णी की. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के मुताबिक, शी ने सेना को आदेश दिया कि वह सबसे खराब स्थिति की कल्पना करे, उसके बारे में सोचे और युद्ध के लिए अपनी तैयारियों और प्रशिक्षण को बढ़ाए, तमाम जटिल परिस्थितियों से तुरंत और प्रभावी तरीके से निपटे. साथ ही पूरी दृढ़ता के साथ राष्ट्रीय सम्प्रभुता, सुरक्षा और विकास संबंधी हितों की रक्षा करे.