India China Face off : भारत और चीन के बीच जंग हुई, तो जानें कौन पड़ेगा भारी और कैसे

India China Face off, india china war : एलएसी (LAC) पर जारी तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच बातचीत का दौर चल रहा है. पिछले एक महीने की बात करें तो दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों में कई दौर की बातचीत हो चुकी है. सोमवार को भी कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई, जो 11 घंटे तक चली. जानकारी के अनुसार बातचीत का मंगलवार को यानी आज भी जारी रह सकता है. इधर, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे मंगलवार को लेह का दौरा करेंगे. वे14वीं कोर के सैन्य अफसरों के साथ हालात का जायजा लेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2020 9:44 AM
an image

India China Face off, india china war : एलएसी (LAC) पर जारी तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच बातचीत का दौर चल रहा है. पिछले एक महीने की बात करें तो दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों में कई दौर की बातचीत हो चुकी है. सोमवार को भी कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई, जो 11 घंटे तक चली. जानकारी के अनुसार बातचीत का मंगलवार को यानी आज भी जारी रह सकता है. इधर, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे मंगलवार को लेह का दौरा करेंगे. वे14वीं कोर के सैन्य अफसरों के साथ हालात का जायजा लेंगे.

इसी बीच सबके मन में सवाल उठ रहा है कि गलवान घाटी में चीन-भारत के बीच तनाव के मद्देनजर अगर जंग हुई, तो कौन देश भारी पड़ेगा. तो हम आपको बता दें कि चीन पर भारत चौतरफा भारी पड़ेगा. चीन अलग-थलग पड़ जायेगा और भारत को विश्व समुदाय का साथ मिलेगा. ये बातें केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रेसिडेंट और तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी डॉ लोब्सांग सांगे ने कोलताता में कहीं.

वह भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की एक ऑनलाइन परिचर्चा ‘इंडिया, तिब्बत, चीन : सिनर्जिंग ग्लोबल पीस’ को संबोधित कर रहे थे. डॉ सांगे ने द ग्रेट वाल ऑफ चाइना तक ही चीन की सीमा बताते हुए कहा कि वह बांग्लादेश से लेकर श्रीलंका तक घुसपैठ कर रहा है. वह अपनी विस्तारवादी नीतियों को त्यागने को तैयार नहीं है. वह शांति व समझौतों की परवाह नहीं करता. वह तमाम समझौतों को तोड़ चुका है. इस वजह से उसकी विश्वसनीयता भी अब नहीं रही है. आज की स्थिति यह है कि कोई भी देश उस पर भरोसा नहीं करता, कोई भी उसे साथ नहीं देगा. अगर चीन जंग का रास्ता अख्तियार करता है, तो उसे घुटने टेकने पड़ जायेंगे.

चीन के चलते गयीं 87 हजार तिब्बतियों की जानें : डॉ सांगे ने कहा कि चीन के आक्रमण और हिंसक घुसपैठ का नतीजा है कि दलाई लामा को देश छोड़ना पड़ा और करीब 87 हजार तिब्बती लोगों की जानें चली गयीं. उन्होंने लोगों को स्मरण कराया कि 1954 में भारत-चीन के बीच जो पंचशील समझौता हुआ था, उसका उद्देश्य भारत और तिब्बत के बीच शांति और व्यवसाय पर बल देना था. पर बाद में चीन ने उसका उल्लंघन कर दिया. नतीजतन अविश्वास के साथ तनाव बढ़ा और वह स्थिति आज तक व्याप्त है. वेबिनार को चैंबर के अध्यक्ष रमेश कुमार सरावगी व अन्य ने भी संबोधित किया.

Also Read: ग्लोबल टाइम्स ने उड़ाया भारतीय अ​र्थव्यवस्था का मजाक, कहा- भारतीय कंपनियां नहीं कर सकतीं ‘बायकॉट चायना’

चीन ने माना, झड़प में उसके अफसर की भी गयी थी जान: पूर्वी लद्दाख में भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के करीब एक सप्ताह बाद चीन की सेना ने कबूल किया कि उसका कमांडिंग ऑफिसर इस दौरान मारा गया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन की सेना ने यह बात दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की बातचीत के दौरान स्वीकार की. दरअसल, गलवान घाटी में पिछले दिनों हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गये थे.

Posted By: Amitabh Kumar

Exit mobile version