लद्दाख सीमा पर चीन द्वारा हिंसक झड़प का बदला भारत किस तरह लेगा यह भविष्य की बात है लेकिन तत्काल प्रभाव से चीन को आर्थिक रूप से चोट करने की तैयारी हो गयी है. केंद्र सरकार ने संचार विभाग और सरकारी टेलीकॉम कंपनियों बीएसएनएल व एमटीएनएल को निर्देश दिए हैं कि वो 4जी के क्रियान्वयन के लिए चीनी उपकरणों के इस्तेमाल पर रोक लगाएं. सरकार ने इस बारे में सभी टेंडर्स को खत्म करने के आदेश दे दिए हैं और नए टेंडर निकालने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी.
चीन से सीमा विवाद के बाद भारत ने उसे दुनिया में अलग-थलग करने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. इंडिया टुडे के मुताबिक, सरकार चीनी कंपनियों को 4जी के लिए कोई नए टेंडर नहीं देगी और नए सिरे से टेंडर निकाले जाएंगे. इसी वर्ष 31 मई को बीएसएनएल 8697 करोड़ रुपये का 4जी टेंडर रद्द किया है. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए एक बड़ा कदम माना गया है.
Also Read: भारत से उलझा चीन, अमेरिका ने ड्रैगन के खिलाफ खेला मुस्लिम कार्ड, पाकिस्तान की बढ़ी मुसीबत
टेलिकॉम मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक संचार विभाग मोबाइल सेवा के क्षेत्र में भी चीन पर निर्भरता को कम करने की दिशा में गंभीरता से विचार कर रहा है. इसीलिए टेलीकॉम क्षेत्र की निजी कंपनियों को भी चीन की कंपनियों द्वारा बनाए गए उत्पादों पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए कहा गया है. बताया तो यह भी जा रहा है कि चीनी उपकरणों की सुरक्षा जांच अब बहुत सख्त हो सकती है. दरअसल चीन के उपकरणों पर कई बार सवाल उठाए गए हैं.चीनी कंपनी हुआवे एवं जेटीई (ZTE) कठघरे में है और यह माना जाता रहा है कि इन कंपनियों में परोक्ष रूप से सरकार शामिल है.
भारत की जितनी भी बड़ी मोबाइल- इंटरनेट कंपनियां हैं, उसमें चीन का बहुत बड़ा निवेश है. आंकड़ों के मुताबिक टेलीकॉम इक्विपमेंट का बाजार 12 हजार करोड़ का है, जिसमें चाइनीज उत्पाद का शेयर करीब 25 फीसदी का है. इस क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर भारतीय कंपनियां चीन छोड़कर दूसरे देशों से आयात करती हैं तो लागत 15 फीसदी तक बढ़ जाएगी. लेकिन अब जब सरकार ने आगाह किया है तो फिर कंपनियों को इसे गंभीरता से लेना होगा.
मोदी सरकार ने यह फैसला ऐसे वक्त में लिया है जब लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. 15 जून की रात गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए जबकि चीनी सेना के 43 जवान मारे गए या गंभीर रूप से जख्मी हुए. चीन ने अपनी ओर से इस बारे में कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया है.
व्यापारिक संगठन कैट यानी कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT ) ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार और भारतीय वस्तुओं को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय अभियान को और अधिक तेज करने का फैसला किया है. संगठन ने 500 सामानों की सूची तैयार की है, जिससे चीन से नहीं मंगाने का फैसला लिया गया है. कैट ने सरकार से चीनी कम्पनियों को दिए गए ठेकों को तुरंत रद्द करने और भारतीय स्टार्टअप में चीनी कंपनियों द्वारा निवेश को वापस करने के नियमों को बनाने जैसे कुछ तत्काल कदम उठाने का भी आग्रह किया था.
Posted By: Utpal kant