India china Tension: पलट कर हमला करता है चीन, 1962 की जंग से पहले भी एलएसी से पीछे हटी थी चीनी सेना
Lac conflict, India china standoff, ladakh face off, india china tension, चीन के खिलाफ उस समय भारत को बड़ी कामयाबी मिली जब सोमवार को लद्दाख में चीनी सेना डिसइंगेजमेंट के तहत पीछे हटने को मजबूर हुई. इससे पहले 6 जून, 2020 को कमांडर स्तरीय वार्ता के बाद भी चीनी सेना ने पीछे हटने की बात कही थी, लेकिन पीछे नहीं हटी. अब जब ये खबर आयी है कि चीन एलएसी से पीछे हट रही है तो भी लोगों को चीन की नीयत पर संदेह है.
Lac conflict, India china standoff, ladakh face off, india china tension, चीन के खिलाफ उस समय भारत को बड़ी कामयाबी मिली जब सोमवार को लद्दाख में चीनी सेना डिसइंगेजमेंट के तहत पीछे हटने को मजबूर हुई. इससे पहले 6 जून, 2020 को कमांडर स्तरीय वार्ता के बाद भी चीनी सेना ने पीछे हटने की बात कही थी, लेकिन पीछे नहीं हटी. अब जब ये खबर आयी है कि चीन एलएसी से पीछे हट रही है तो भी लोगों को चीन की नीयत पर संदेह है. सोशल मीडिया पर लोग भारत सरकार को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं. साथ ही एक अखबार की कटिंग भी वायरल हो रही है.
इस अखबार की कटिंग को शेयर कर लोग 1962 में चीन द्वारा दिए गए धोखे पर लोग चर्चा कर रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि 58 साल पहले भी अखबार में ऐसी ही हेडलाइन छपी थी जैसे आज छपी है. दरअसल, 1962 में 15 जुलाई को सभी समाचार पत्रों में गलवान को लेकर ही प्रमुख खबर थी. उस दिन की एक हेडलाइन थी- Chinese troops withdraw from Galwan post. लेकिन इस खबर के छपने के कुछ महीने बाद ही भारत-चीन के बीच 1962 का युद्ध शुरू हो गया था. तब बी गलवान था और अब भी गलवान ही है जहां से चीनी सेना के पीछे हटने की खबर सामने आई है. ऐसे में लोग 1962 की घटना को याद कर सोशल मीडिया पर तरह के कमेंट कर रहे हैं. कई लोगों ने लिखा कि चीन पर भरोसा कभी नहीं किया सकता. देखें कुछ ट्वीट
Also Read: भरोसा नहीं चीन का, 72 घंटे तक सीमा पर नज़र रखेगी सेना, सब ठीक रहा तभी पोस्ट पर लौटेगी भारतीय सेना
This happened in July 1962. pic.twitter.com/LKqrhADHi8
— Nirupama Menon Rao 🇮🇳 (@NMenonRao) July 6, 2020
Never trust them.
Never ever ever. https://t.co/1p49rWCp3F— Yashwant Deshmukh 🇮🇳 (@YRDeshmukh) July 6, 2020
Reports of Chinese troops withdrawing from #PP14 in #GalwanValley is heartening. But just remember that #CCP and #PLA can never be trusted! After all in 1962, the war started in winter after Chinese troops withdrew from Galwan in July! pic.twitter.com/jckG4Sjza6
— Kishor Narayan 🇮🇳 (@veggiediplomat) July 6, 2020
Also in July 1962, PLA moved back from Galwan valley, only to declare full war in October. Hope history isn’t repeating in 2020 https://t.co/pRV4aE8abw
— Debarati (@Debarati_M) July 6, 2020
Those who don't learn from history are doomed to repeat it. Even in 1962 the Chinese had “withdrawn'' from Galwan post. After the Chinese treachery at #Galwan trust Chinese at your own risk. India should remain deployed till Chinese withdraw forces to their peace time locations. https://t.co/4FcpgAq42i
— GAURAV C SAWANT (@gauravcsawant) July 6, 2020
Newspaper of 15 July 1962
Chinese troops withdraw from Galwan
Today is 7 July 2020 – exactly after 58 years – same news
China attacked India on 20th October 1962
Is China trying to repeat 1962?
India can never belive China.
Not Again pic.twitter.com/bLJPAt7Knp— Kreately.in (@KreatelyMedia) July 6, 2020
चीन सेना की हरकत, भारत अब भी चौकन्ना
बता दें कि चीन के पीछे हटने के बाद भी भारतीय सेना अलर्ट पर है. कोई मौका नहीं छोड़ा जा रहा है कि फिर चीन कोई धोखा दे पाए. सेना ने पूरे इलाके में कड़ी निगरानी करने की योजना बनाई है. कहा जा रहा है कि चीन के खिलाफ यह भारत की बड़ी कूटनीतिक कामयाबी है, लेकिन साथ ही अब पहले से ज्यादा अलर्ट रहना जरूरी है. साफ कहा जा रहा है कि चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा है और भारत की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.
सरकार के उच्चपदस्थ सूत्रों के हवाले से टीओआई ने लिखा है कि अभी चीनी सेना की सभी मूवमेंट्स पर 72 घंटे तक नजर रखी जाएगी, उसके बाद ही डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को सफल माना जाएगा. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इससे पहले भी दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी लेकिन चीन वापस से भारत की तरफ घुसने लगा था.
Posted By: Utpal kant