Lac conflict, India china standoff, ladakh face off, india china tension, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच चीनी सेना के पीछे हटने की ख़बर है. माना जा रहा है कि भारत और चीन के बीच दो महीने से जारी गतिरोध अब शांत होने की उम्मीद है. बता दें कि चीन के खिलाफ उस समय भारत को बड़ी कामयाबी मिली जब लद्दाख में चीनी सेना डिसइंगेजमेंट के तहत पीछे हटने को मजबूर हुई. इससे पहले 6 जून, 2020 को कमांडर स्तरीय वार्ता के बाद भी चीनी सेना ने पीछे हटने की बात कही थी, लेकिन 15-16 जून की रात कुछ और ही हुआ.
उसने धोखे से भारतीय जवानों पर हमला कर दिया जिसके बाद तनाव अपने चरम पर पहुंचा गया. अब चीन के पीछे हटने के बाद भी भारतीय सेना अलर्ट पर है. कोई मौका नहीं छोड़ा जा रहा है कि फिर चीन कोई धोखा दे पाए. सेना ने पूरे इलाके में कड़ी निगरानी करने की योजना बनाई है. कहा जा रहा है कि चीन के खिलाफ यह भारत की बड़ी कूटनीतिक कामयाबी है, लेकिन साथ ही अब पहले से ज्यादा अलर्ट रहना जरूरी है. साफ कहा जा रहा है कि चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा है और भारत की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.
बता दें कि बीते रविवार को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ लगभग दो घंटे तक बातचीत की और हालात बेहतर होने की उम्मीद जताई. इस बैठक बाद ही सोमवार को सूत्रों के हवाले से ये खबर आई कि चीन ने डिसइंगेजमेंट के तहत अपने सैनिकों को गलवान नदी घाटी में कम से कम एक किलोमीटर पीछे किया है. चीनी सेना के 15 जून को एलएसी पर झड़प वाली जगह से पेट्रोल पॉइंट 14 से 1.5 से 2 किलोमीटर पीछे हटने की खबर है. भारतीय जवान भी पीछे आ गए और दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच एक बफर ज़ोन बना दिया गया है.सूत्रों के मुताबिक, चीनी सैनिकों ने गलवान नदी के मोड़ से हटना शुरू कर दिया है और इस इलाके से अस्थायी ढांचों और टेंट को हटा दिया गया है.
अब सवाल ये है कि चीन डिसइंगेजमेंट के लिए सहमति कैसे दे दी. भारत-चीन के बीच दो महीने के बाद हालात कैसे सामान्य हुए, यह अभी भी सवाल बना हुआ है. एक सवाल यहां और भी खड़ा होता है कि क्या चीन अब मान जाएगा और आगे से कोई ऐसी हरकत नहीं करेगा जिससे कि दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा होगी? नये समझौते के मुताबिक एलएसी दोनों देशों के बीच लगभग दो किलोमीटर का बफर जोन बनाया गया है. इस जोन में दोनों देशों के सैनिक नहीं आएंगे.
चीनी सेना के धोखेबाजी से भारत अवगत है. ऐसा पहली बार नहीं है कि चीन पीछे हटने को राजी हुआ है. इसके पहले भी डोकलाम ऐसा ही हुआ था. चीन अब गलवान घाटी इलाके से लगभग दो किलोमीटर खिसक पीछे खिसक गया है. लेकिन भारत उसकी हर हरकत पर पैनी निगाह बनाए हुए है. निगरानी के लिए भारतीय सेना ड्रोन और सेटेलाइट की मदद ले रही है.
चर्चा है कि 15 जून की खूनी झड़प के बाद भारत ने जिस तरह से यह स्पष्ट संदेश दिया है कि चीन के साथ उसकी नीति अब पूरी तरह से बदली हुई होगी, इसका बहुत असर पड़ा है. खास तौर पर मोदी की लेह यात्रा के बाद चीन के पक्ष में स्पष्ट तौर पर बदलाव दिखा है. पीएम मोदी की यात्रा के बाद दो दिनों में दोनों पक्षों के बीच कई माध्यमों से संपर्क स्थापित हुआ है. हालिया संपर्क एनएसए अजीत डोभाल व चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को सीमा विवाद को लेकर हुई बातचीत से हुआ है.
Posted By: utpal kant