नयी दिल्ली : लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के ‘धोखे’ से देशभर में भारी आक्रोश है. देश के हर हिस्से में भारतीय सैनिकों की शहादत का बदला लेने की मांग उठी है. कई शहरों में चीन के खिलाफ प्रदर्शन भी हुए. दूसरी तरफ सरकार चीन को उसकी हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में है. चीन के साथ लगी करीब 3,500 किलोमीटर की सीमा पर भारतीय थल सेना व वायु सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है. नौसेना को हिंद महासागर में अलर्ट किया गया है. यहां चीन की नौसेना की नियमित तौर पर गतिविधियां होती हैं. लद्दाख में एलएसी पर हथियारों का मूवमेंट भी शुरू हो चुका है.
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘भारत शांति चाहता है, लेकिन उकसाने पर हर हाल में यथोचित जवाब देने में सक्षम में है. जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा. हमें अपने जवानों पर गर्व है, वे मारते-मारते शहीद हुए हैं.’ इधर, दिल्ली में बुधवार को गहमागहमी तेज रही. दिन में सीडीएस व सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की बैठक हुई. रात में प्रधानमंत्री आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक हुई. इस दौरान सैन्य तैयारियों पर भी चर्चा हुई. ठोस कार्रवाई की तैयारी के बीच पीएम मोदी ने शुक्रवार को सभी दलों की बैठक बुलायी है. यह तो तय है कि भारत ठोस कदम उठायेगा.
लद्दाख में सेना ने अपनी ऑपरेशनल तैयारियों को तेजी देते हुए आइटीबीपी की अग्रिम निगरानी चौकियों का कार्यभार अपने पास ले लिया है. हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने इसकी पुष्टि नहीं की है. यह जानकारी जम्मू से प्रभात खबर के प्रतिनिधि सुरेश एस डुग्गर ने दी है. शुक्रवार को कश्मीर से सेना के जवानों की अतिरिक्त टुकड़ियां साजो -सामान के साथ पूर्वी लद्दाख के लिए रवाना हुईं. एहतियातन गलवान क्षेत्र में नागरिक संचार सेवा को भी बंद कर दिया गया है. वायुसेना के दो एएन-32 विमान भी श्रीनगर व लेह पहुंचे हैं. लेह-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग का सोनमर्ग से आगे का रास्ता आमलोगों के लिए बंद कर दिया गया है. सैन्य तनाव के बीच आइटीबीपी के जवान व अफसर अब सेना के साथ काम एलएसी पर गश्त करते हुए चीन की हरकतों की निगरानी कर रहे हैं. पैंगांग झील में भी सेना ने गश्त बढ़ा दी है.
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भारत-चीन के सैनिकों में हुई झड़प के बाद चीन के खिलाफ पूरे देश में आक्रोश है. शुक्रवार को दिल्ली, अहमदाबाद, कश्मीर, वाराणसी में उसके खिलाफ प्रदर्शन किये गये हैं. दिल्ली में चीन के दूतावास के समक्ष लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. इनकी मांग की थी सरकार ठोस कार्रवाई करे.
भारत-चीन के बीच तनाव के कारण चाइनीज प्रॉडक्ट्स के बहिष्कार की मांग लगातार जोर पकड़ रही है. भारतीय स्मार्टफोन बाजार में चीन की बड़ी हिस्सेदारी है. यदि चाइनीज प्रॉडक्ट्स का बॉयकॉट शुरू हुआ,तो चीन की कंपनियों को तगड़ा झटका लगना तय है.
Posted By : Amitabh Kumar