भारत-चीन के बीच तनाव कम करने की पहल, 12वें दौर की बैठक में LAC पर शांति बनाए रखने पर बनी सहमति
India China Border भारत-चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बैठक का 12वां दौर चुशुल-मोल्दो सीमा पर आयोजित किया गया. दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि वे पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रभावी प्रयास जारी रखेंगे व संयुक्त रूप से शांति बनाए रखेंगे.
India China Border News भारत और चीन के बीच कोर सैन्य कमांडर स्तर की बैठक का 12वां दौर भारत की ओर चुशुल-मोल्दो सीमा पर आयोजित किया गया. बैठक के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि वे पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रभावी प्रयास जारी रखेंगे और संयुक्त रूप से शांति बनाए रखेंगे.
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और चीन मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार शेष मुद्दों को जल्दी हल करने और बातचीत की गति को बनाए रखने पर सहमत हुए. इससे पहले पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले साल के अप्रैल महीने से जारी विवाद के बीच शनिवार को भारत-चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई. जानकारी के मुताबिक, दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत करीब नौ घंटे तक चली. सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान भारत ने साफ कह दिया कि देपसांग, गोगरा और हाटस्प्रिंग्स से चीन अपने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाए और सैन्य साजो सामान हटाए.
The 12th round of the India-China Corps Commander Level Meeting was held at the Chushul-Moldo border meeting point on the Indian side pic.twitter.com/wRmN499VG7
— ANI (@ANI) August 2, 2021
पिछले दिनों एलएसी विवाद को खत्म करने के लिए चीन ने 26 जुलाई को बातचीत करने का सुझाव दिया था, जिसे भारत ने कारगिल विजय दिवस के चलते खारिज कर दिया था. बाद में बातचीत के लिए 31 जुलाई की तारीख तय की गई थी. गौरतलब हो कि दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले साल अप्रैल से ही तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है. बाद में कई बार बातचीत के बाद स्थिति में कुछ सुधार आया है. हालांकि, गोगरा समेत कई ऐसे प्वाइंट्स हैं, जहां पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं. बता दें कि पिछले साल जून महीने में गलवान घाटी में हिंसक झड़प हो गई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. वहीं, चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे.
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