SCO Meeting: भारत-चीन के संबंध असामान्य, सीमा विवाद को लेकर बोले जयशंकर- खराब हो रहा रिश्तों का आधार
SCO Meeting: देश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री से शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक से इतर द्विपक्षीय वार्ता की. जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष को बताया कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर विवाद के कारण भारत-चीन संबंधों की स्थिति असामान्य है.
SCO Meeting: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि अगर सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता के लिए बाधा उत्पन्न होती है तो भारत और चीन के बीच संबंध सामान्य नहीं हो सकते. जयशंकर ने यह टिप्पणी अपने चीनी समकक्ष चिन गांग से बातचीत के एक दिन बाद एक संवाददाता सम्मेलन में की. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि मुद्दा यह है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में एक असामान्य स्थिति है. हमने इस बारे में खुलकर बात की है. जयशंकर ने कहा, ‘‘हमें सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को आगे ले जाना है.
चीनी विदेश मंत्री से द्विपक्षीय वार्ता: गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री से गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO, एससीओ) के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक से इतर द्विपक्षीय वार्ता की. पिछले दो महीनों में दोनों विदेश मंत्रियों के बीच यह दूसरी मुलाकात थी. चीनी विदेश मंत्री मार्च में जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए भारत आए थे. वार्ता के दौरान, जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष को बताया कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर विवाद के कारण भारत-चीन संबंधों की स्थिति असामान्य है.
सीमा का उल्लंघन कर रहा चीन: बता दें, बीते हफ्ते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष ली शांगफू से एक बैठक में कहा था कि चीन की ओर से मौजूदा सीमा समझौतों का उल्लंघन किए जाने से दोनों देशों के बीच संबंधों का पूरा आधार खराब हो गया है और सीमा से संबंधित सभी मुद्दों को मौजूदा समझौतों के अनुसार हल किया जाना चाहिए.
सीमा विवाद को लेकर 18वें दौर की बैठक: यह बैठक 27 अप्रैल को नयी दिल्ली में एससीओ रक्षा मंत्रियों के एक सम्मेलन के मौके पर हुई थी. दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच बैठक से कुछ दिन पहले, भारत और चीन की सेनाओं ने सीमा विवाद के समाधान के लिए 18वें दौर की वार्ता की थी. कोर कमांडर स्तर की 23 अप्रैल को हुई वार्ता में, दोनों पक्षों ने निकट संपर्क में रहने और पूर्वी लद्दाख में शेष मुद्दों पर जल्द से जल्द पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमति व्यक्त की थी. हालांकि, तीन साल से चले आ रहे विवाद को समाप्त करने को लेकर किसी स्पष्ट प्रगति का कोई संकेत नहीं दिखा.
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