India china standoff, integrated Battle Group, india china clash: भारतीय सेना का इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (आइबीजी) आदेश के 12 घंटे के भीतर ही दुश्मन को घर में घुसकर ढेर कर देगा. यह इसकी विशेष दक्षता में शामिल है. प्रतिरक्षा हो या आक्रमण, युद्ध जैसी किसी भी स्थिति से तुरंत निबटने में यह दस्ता हर क्षण तत्पर रहता है.. चीन से तनातनी के मद्देनजर लद्दाख (वास्तविक नियंत्रण रेखा) में इसकी तैनाती की गई है.
दरसअल, ऐसी खबरें आई हैं कि चीन ने बड़े पैमाने पर पर्वतारोहियों एवं मार्शल आर्ट के लड़ाकों को हाल में अपनी सेना में भर्ती किया है. साथ ही पांच डिवीजन बनाकर एलएसी की तरफ भेजे हैं. चीनी मीडिया में आई रिपोर्टों में हालांकि कहा गया है कि यह तिब्बत में तैनाती के लिए हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इन्हें एलएसी पर भारतीय सेना के मुकाबले के लिए भेजा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, 15 जून से पहले इन्हें तैनात किया गया था.
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समाचार एजेंसी एएफपी ने चीनी मीडिया के हवाले से बताया है कि चीन ने गलवान घाटी इलाके में मोर्चा शुरू करने से पहले मार्शल आर्ट फाइटर्स की चार टुकड़ी को तैनात किया था. हालांकि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि 15-16 जून के दरम्यानी रात कितने फाइटर्स तैनात किए गये थे. भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक, इंडियन माउंटेन कार्प के कम से तीन बैटल ग्रुप अग्रिम मोर्चे पर तैनात हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में आईटीबीपी के जवान भी हैं जो पर्वतीय इलाकों में युद्ध का प्रशिक्षण पा चुके हैं.
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच 1996 में हुए समझौते के मुताबिक एलएसी से दो किलोमीटर के दायरे में न गोलीबारी की जाएगी न ही किसी भी तरह के खतरनाक रसायनिक हथियार, बंदूक, विस्फोट की इजाजत होगी. इसलिए यहां हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. 15 जून को गलवान घाटी में हुई खूनी झड़प के दौरान भी दोनों तरफ से किसी ने भी हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया. इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे. खबरों में ये भी कहा गया कि चीन के 43 सैनिक हताहत हुए लेकन चीन इस मामले में मौन रहा.
रिपोर्ट के मुताबिक, यह महज विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कमांडोज का दस्ता मात्र नहीं, बल्कि पैदल सेना, टैंक, तोपखाना, वायु रक्षा, संचार और युद्धकौशल के तमाम अत्याधुनिक हथियारों से लैस पूरी यूनिट है. दुश्मन की हर चाल को विफल बनाने की हरसंभव क्षमता-योग्यता इसमें निहित है. इस ग्रुप में शामिल जवान ऊंचे पहाड़ी इलाकों में युद्ध करने में पारंगत हैं. ये समूह खासतौर पर ऊंचे पर्वतीय इलाकों में युद्ध के लिए प्रशिक्षित किए जाते हैं. ये 17वीं माउंटेन कार्प के जवान हैं जिन्हें युद्धक समूहों के रूप में चीन से निपटने के लिए खासतौर पर तैयार किया गया है.
यह ग्रुप चीन की हर चुनौती से निपटने में सक्षम है.बैटल ग्रुप के जवानों को जरूरत पड़ने पर किसी भी स्थान पर एयरड्रॉप भी किया जा सकता है. जवानों को इसका प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है तथा पूर्व में चीन सीमा पर कई स्थानों पर वे युद्धाभ्यास भी कर चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक, थल सेना की तैयारियों को लगातार वायुसेना का बैकअप मिला हुआ है. वायुसेना एलएसी पर निगरानी के साथ-साथ जवानों को एयरड्रॉप करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
Posted By: Utpal kant