India China Tension: गलवान घाटी में पीएलए के चार सैनिक मारे गये थे, चीन ने पहली बार स्वीकारा, VIDEO किया जारी
बीजिंग : चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी ' (पीएलए) ने शुक्रवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया कि पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में उसके चार सैन्यकर्मी मारे गये थे. दोनों पड़ोसी देशों के बीच दशकों बाद यह सैन्य टकराव हुआ था. चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने चीनी सेना के अखबार ‘पीएलए डेली' की एक खबर को उद्धृत करते हुए कहा कि देश के सैन्य प्राधिकारों ने दो सैन्य अधिकारियों और तीन सैनिकों को सम्मानित किया है.
बीजिंग : चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी ‘ (पीएलए) ने शुक्रवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया कि पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में उसके चार सैन्यकर्मी मारे गये थे. दोनों पड़ोसी देशों के बीच दशकों बाद यह सैन्य टकराव हुआ था. चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने चीनी सेना के अखबार ‘पीएलए डेली’ की एक खबर को उद्धृत करते हुए कहा कि देश के सैन्य प्राधिकारों ने दो सैन्य अधिकारियों और तीन सैनिकों को सम्मानित किया है.
चीन की पश्चिमी सीमा की रक्षा करने के लिए उनमें से चार को मरणोपरांत सम्मानित किया गया है. पीएलए डेली के मुताबिक काराकोरम पर्वतों पर तैनात रहे पांच चीनी अधिकारियों और सैनिकों को ‘सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ऑफ चाइना’ (सीएमसी) ने भारत के साथ सीमा पर टकराव में अपना बलिदान देने के लिए सम्मानित किया है. यह घटना जून 2020 में गलवान घाटी में हुई थी.
सीएमसी का नेतृत्व चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग कर रहे हैं, जो चीन में सत्तारूढ़ दल ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना’ के महासचिव भी हैं. शिन्हुआ की खबर के मुताबिक, ‘बटालियन कमांडर चेन होंगजुन को मरणोपरांत ‘सीमा की रक्षा करने वाले नायक’ सम्मान से सम्मानित किया गया है, जबकि चेन शियांगरोंग, शियाओ सियुआन और वांग झुओरान को प्रथम श्रेणी की उत्कृष्टता से सम्मानित किया गया.
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वहीं, झड़प में गंभीर रूप से घायल हुए चि फबाओ को ‘सीमा की रक्षा करने वाले नायक रेजीमेंट कमांडर’ की उपाधि दी गई.’ खबर के मुताबिक पीएलए के तीन सैनिक झड़प में मारे गये, जबकि एक अन्य जवान जब अपने साथियों की मदद करने के लिए नदी पार कर रहा था, तभी उसकी मौत हो गई. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘इस रिपोर्ट का खुलासा लोगों को सच्चाई से अवगत कराने के लिए किया गया है क्योंकि सच्चाई का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था और लोगों के लिए यह जरूरी है कि वे सच्चाई को जानें.’
उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह बात कही. दरअसल, उनसे पूछा गया था कि चीन ने गलवान घाटी की घटना के आठ महीने बाद इस बारे में खुलासा करने का फैसला क्यों किया? भारत ने पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में हुई इस हिंसक झड़प में अपने 20 सैनिकों के शहीद होने की बात कही है. हालांकि, चीन ने भी अपने सैनिकों के हताहत होने की बात स्वीकार की थी लेकिन अब तक संख्या नहीं बताई थी. हुआ ने कहा, ‘इन नायकों को हमेशा ही चीन के लोग याद रखेंगे. हमारे भूभाग की रक्षा करने के लिए उनके द्वारा दिये गये बलिदान को चीन के लोग कभी नहीं भूलेंगे.’
On-site video of last June’s #GalwanValley skirmish released.
It shows how did #India’s border troops gradually trespass into Chinese side. #ChinaIndiaFaceoff pic.twitter.com/3o1eHwrIB2— Shen Shiwei 沈诗伟 (@shen_shiwei) February 19, 2021
उन्होंने दावा किया, ‘हम सभी जानते हैं कि पिछले साल गलवान घाटी में झड़प हुई थी और इसके लिए चीन जिम्मेदार नहीं था.’ उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि सीमा मुद्दे को हमारे द्विपक्षीय संबंधों में उपयुक्त जगह दी जायेगी. हम इस मुद्दे के हल के लिए भारतीय पक्ष के साथ काम करने तथा द्विपक्षीय संबंधों के हितों को कायम रखने की उम्मीद करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘भारत, चीन का एक अहम पड़ोसी देश है और मधुर संबंध बहाल करना दोनों देशों के लोगों की आकांक्षा है तथा उनके हित में है. मैं उम्मीद करती हूं कि भारत इस साझा लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में हमारे साथ मिल कर काम करेगा.’
इस बीच, चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता, वरिष्ठ कर्नल रेन गुओकियांग ने कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद सुलझाने पर उनके देश का रुख स्पष्ट, निरंतर और गंभीर है. रेन ने एक बयान में कहा, ‘चीन हमेशा से वार्ता एवं बातचीत के जरिए विवादों को सुलझाने, दोनों पक्षों के बीच संबंधों की सामान्य स्थिति कायम रखने, स्थिति को शांत रखने तथा सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं स्थिरता बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध रहा है.’
वहीं, यह पूछे जाने पर कि क्या चीन द्वारा आज खुलासा किये गये ब्योरे (गलवान घाटी में उसके सैनिकों के मारे जाने संबंधी) का असर शनिवार को होने जा रही कमांडर स्तर की 10 वें दौर की वार्ता पर पड़ेगा, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ‘ये दो अलग-अलग मुद्दे हैं.’ दरअसल, यह वार्ता सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया से संबद्ध है. उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्षों के कूटनीतिक एवं सैन्य माध्यमों के बीच संवाद के जरिए सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया सुगमता से प्रगति पर है.’
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उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि भारत द्विपक्षीय संबंधों के सामान्य हितों को ध्यान में रखेगा और संबंधों को पटरी पर वापस लायेगा. हमने अभी जो जारी (मारे गये सैनिकों की संख्या) किया है, वह बस तथ्य और सच्चाई है.’ भारत और चीन की सेना के बीच सीमा पर गतिरोध के हालात पिछले वर्ष पांच मई से बनने शुरू हुए थे. इससे पहले पैंगोंग झील क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसके बाद दोनों ही पक्षों ने सीमा पर हजारों सैनिकों को तैनात कर दिया. गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में चीन के सैनिकों ने पत्थर, कील लगे डंडे, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमला किया था.
भारतीय सैनिकों ने गलवान में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय क्षेत्र की ओर चीन द्वारा निगरानी चौकी बनाने का विरोध किया था. गलवान घाटी की घटना 1967 में नाथूला में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुए संघर्ष के बाद टकराव की सबसे बड़ी वारदात थी. नाथूला के संघर्षमें भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गये थे. हालांकि, पीएलए डेली की खबर में दावा किया गया कि चीन के सैन्यकर्मियों पर भारत के जवानों ने हमला किया था. यह पहला मौका है, जब चीन ने यह स्वीकार किया है कि गलवान में उसके भी सैन्यकर्मी मारे गए थे.
खबर में उनके बारे में विस्तार से जानकारी भी दी गई है. इसमें कहा गया है कि इनमें से चार सैन्यकर्मी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी में भारत की सेना का सामना करते हुए मारे गये. भारत ने घटना के तुरंत बाद अपने शहीद सैनिकों के बारे में घोषणा की थी, लेकिन चीन ने शुक्रवार से पहले आधिकारिक तौर यह कभी नहीं माना था कि उसके सैन्यकर्मी भी झड़प में मारे गये हैं. रूस की आधिकारिक समाचार एजेंसी तास ने 10 फरवरी को खबर दी थी कि गलवान घाटी की झड़प में चीन के 45 सैन्यकर्मी मारे गये थे.
Posted By: Amlesh Nandan.