‘गहन क्षेत्रों में बढ़ी चीनी सेना की गतिविधि, भारतीय सेना पूरी तरह से मुस्तैद’
India China Tension : लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने भारत के समग्र सैन्य आधुनिकीकरण की जानकारी देते हुए बताया कि एकीकृत युद्ध समूह (आईबीजी) नामक नई लड़ाकू संरचनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है.
पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने गुरुवार को कहा कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र के सामने अपने अंदरूनी इलाकों में तैनाती और सैन्य अभ्यास बढ़ा दिए हैं तथा भारत ने क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी हर प्रकार की चुनौती से निपटने के लिए इसी के अनुसार आकस्मिक योजनाएं बना ली हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने भारत के समग्र सैन्य आधुनिकीकरण की जानकारी देते हुए बताया कि एकीकृत युद्ध समूह (आईबीजी) नामक नई लड़ाकू संरचनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है. ये समूह अधिक प्रभावी दृष्टिकोण के साथ तेजी से कार्य करने में समक्ष हैं. आईबीजी में पैदल सेना, तोपखाने, वायु रक्षा, टैंक और रसद इकाइयां शामिल होंगी. इस नई व्यवस्था से खासकर चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर सेना की युद्ध लड़ने की क्षमताओं में सुधार की उम्मीद है.
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि 17 माउंटेन कोर के संचालन की योजना को 2014 में बनाई गई योजना के अनुरूप लागू किया गया है. उन्होंने कहा कि पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) वहां जो वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास करती है, उस संबंधी गतिविधियों में अंदरूनी इलाकों में बढ़ोतरी देखी गई है. पीएलए ने जो कुछ आरक्षित समूह गोलबंद किए थे, वे अंदरूनी इलाकों में बने अपने प्रशिक्षण क्षेत्रों में मौजूद हैं. दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट बुनियादी ढांचे विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके कारण समय-समय में कुछ समस्याएं पैदा होती रहती हैं.
लेफ्टिनेंट जरनल पांडे ने कहा कि नए बुनियादी ढांचों के विकास के बाद से बलों की तैनाती में बढ़ोतरी हुई है. कमांडर ने बताया कि भारत ने कई कदम उठाए हैं और उनमें से सबसे अहम कदम रणनीतिक स्तर से लेकर सामरिक स्तर तक सभी निगरानी संसाधनों के तालमेल के जरिए वास्तविक नियंत्रण रेखा और अंदरूनी इलाकों के पास निगरानी गतिविधियां बढ़ाना है. हमारे पास पर्याप्त बल हैं जो हर प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए हर क्षेत्र में उपलब्ध हैं. हम विभिन्न संभावित आकस्मिक स्थितियों से निपटने का अभ्यास कर रहे हैं.
चीन और भूटान के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए हाल में किए गए समझौते और उससे डोकलाम टाई-जंक्शन के आसपास के क्षेत्रों में भारत के रणनीतिक हितों पर पड़ सकने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर सैन्य कमांडर ने सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा कि सरकार के संबंधित प्राधिकारियों ने इसका संज्ञान लिया है.
चीन द्वारा विभिन्न सीमा समझौतों और प्रोटोकॉल का उल्लंघन किए जाने के विषय पर लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि इस मामले पर उच्चतम स्तर पर वार्ता चल रही है. हमारे व्यापक मार्गदर्शन के संदर्भ में, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति से निपटने को लेकर रणनीतिक मार्गदर्शन के संदर्भ में, हम आपसी सहमति से बनाए गए प्रोटोकॉल और समझौतों का सम्मान करते हैं और यही हमारा प्रयास रहा है, भले ही दूसरे पक्ष ने कोई भी कदम उठाया हो या कोई भी कार्रवाई की हो. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि इसे बड़े स्तर पर देखा जा रहा है कि जो हुआ, उसके परिणाम क्या हैं और भविष्य में हमें क्या करने की आवश्यकता है. कमांडर ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच चौथी हॉटलाइन हाल में सक्रिय हो गई है.
उल्लेखनीय है कि पिछले साल पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद भारत ने सामरिक लाभ हासिल करने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने के साथ ही करीब 3,400 किलोमीटर लंबी एलएसी पर सैनिकों की समग्र तैनाती बढ़ा दी थी. सेना दूर से संचालित विमानों के बेड़े का उपयोग कर क्षेत्र में एलएसी पर दिन और रात निगरानी भी कर रही है. इजराइल निर्मित हेरॉन ड्रोन का एक बड़ा बेड़ा पर्वतीय क्षेत्र में एलएसी पर चौबीसों घंटे निगरानी कर रहा है और कमान एवं नियंत्रण केंद्रों को महत्वपूर्ण डेटा एवं चित्र भेज रहा है. ड्रोन के साथ ही भारतीय सेना की विमानन शाखा ने क्षेत्र में उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर रूद्र की तैनाती की है जिससे क्षेत्र में इसका मिशन और तीव्र हुआ है.
Posted By : Amitabh Kumar