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India China Tension: यांग्त्से में क्यों है चीन को दिलचस्पी ? जानें कब-कब रहा भारत-चीन सीमा पर तनाव

India China Tension: भारत और चीन की सेनाएं अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में पहले भी आमने-सामने आ चुकी हैं. इससे पहले अक्तूबर 2021 में भी दोनों के बीच विवाद हुआ था. जानें दोनों देशों के बीच कब-कब रहा है तनाव

By Prabhat Khabar News Desk | December 14, 2022 7:15 AM
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India China Tension: तवांग झड़प को लेकर देश में चीन के खिलाफ जबर्दस्त रोष देखा जा रहा है. मंगलवार को चीन की हिमाकत के खिलाफ देश के कई हिस्सों में जोरदार प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने चीन के विरोध में जमकर नारेबाजी की और जिनपिंग के पोस्टर जलाये. प्रदर्शन के दौरान लोगों ने कहा कि चीन कोविड से दुनियाभर के देशों का ध्यान भटकाना चाहता है. चीन ध्यान भटकाने के लिए युद्ध की कोशिश कर रहा है. शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने कहा कि जब तक चीन को सबक नहीं सिखाया जायेगा, तब तक वह इस तरह की हरकतें करता रहेगा.

शिवसेना की जम्मू इकाई ने चीन का पुतला भी जलाया. चीन के झंडे को जला कर विरोध प्रदर्शन किया गया. साथ ही चीन के खिलाफ नारेबाजी भी की. शिवसेना ने कहा कि एलएसी पर चीन बार-बार यह हिमाकत कर रहा है कि भारतीय सेना के जवानों को नुकसान पहुंचा सके. लेकिन अब हम सरकार से मांग करते हैं कि चीन को ऐसा सबक सिखाया जाये कि वह दोबारा हमारे सैनिकों की ओर आंख उठाकर देख तक न सके. बता दें कि विगत नौ दिसंबर को तवांग में चीन के सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया.

सुरक्षा के मुद्दे पर राष्ट्र के रूप में हम एक हैं : खरगे

कांग्रेस ने तवांग झड़प की घटना को लेकर कहा है कि सरकार को इस मामले पर संसद में चर्चा के माध्यम से देश को विश्वास में लेने की जरूरत है. कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी छवि बचाने के लिए देश को खतरे में डाल रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया, एक बार फिर हमारे सैनिकों को चीन ने उकसाया है. हमारे सैनिकों ने बहादुरी से मुकाबला किया और कुछ जवान घायल भी हुए. हम राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राष्ट्र के रूप में एक हैं और इसका राजनीतीकरण नहीं करेंगे.

कब-कब रहा भारत-चीन सीमा पर तनाव

1959 : भारत ने दलाई लामा को शरण दी.

1962 : भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ.

1967 : भारतीय जवानों पर चीन का हमला.

1975 : भारत-चीन के बीच जोरदार झड़प.

1987 : तवांग के उत्तर में बढ़ गया तनाव.

2017 : डोकलाम में 73 दिन तक आमने-सामने थे दोनों देशों के जवान.

2020 : गलवान में हिंसक झड़प, मारे गये चीन के 38 सैनिक.

2022 : तवांग में चीनी सैनिकों ने की घुसपैठ की नाकाम कोशिश.

सीमावर्ती क्षेत्र में हो रहे विकास से परेशान है चीन

भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास चीन को रास नहीं आ रहा है. कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं. अरुणाचल फ्रंटियर हाइवे का निर्माण किया जाना है, ब्रह्मपुत्र के अंदर सुरंग बनाने का काम अंतिम दौर में है.

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2021 में बीआरओ ने पूर्वी और पश्चिमी सीमा पर 102 पुल और सड़कों का निर्माण किया है. 19 हजार फीट की ऊंचाई पर उमलिंग ला में दुनिया की सबसे ऊंची सड़क का निर्माण किया गया है.

एलएसी पर फिर बढ़ रहा है तनाव

भारत की चीन के साथ 3488 किमी लंबी सीमा है. पूर्वी क्षेत्र में चीन से लगती सीमा 1346 किमी लंबी है. इसमें अरुणाचल व सिक्किम से लगती सीमा शामिल है. अरुणाचल को चीन दक्षिणी तिब्बत का क्षेत्र मानते हुए अपना दावा जताता है.

वर्ष 1914 में ब्रिटिश सरकार ने चीन और तिब्बत के बीच शिमला समझौता किया था. इस समझौते में अरुणाचल को भारत का हिस्सा बताया गया. जिसे चीन ने मानने से इंकार कर दिया. इसके बाद से चीन की हरकतें लगातार जारी हैं.

यांग्त्से में क्यों है चीन को दिलचस्पी

भारत और चीन की सेनाएं अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में पहले भी आमने-सामने आ चुकी हैं. इससे पहले अक्तूबर 2021 में भी दोनों के बीच विवाद हुआ था. दरअसल, चीन यांग्त्से की 17,000 फुट ऊंची चोटी पर कब्जा करना चाहता है. यह चोटी रणनीतिक रूप से बेहद अहम है. इतनी ऊंचाई से एलएसी के दोनों ओर का कमांडिंग व्यू मिलता है, जिससे सीमा के दोनों तरफ नजर रखना आसान हो जाता है.

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