एलएसी पर 10 हजार सैनिकों की तैनाती करेगा भारत, आर्मी जनरल ने कहा- चुनौतियों से निपटने के लिए सेना तैयार
इस साल के अंत तक पूर्वोत्तर भारत के बार्डर इलाकों में सेना के 10 हजार जवानों की तैनाती की जाएगी. ये सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा की सुरक्षा के साथ-साथ पूर्वी क्षेत्र में चीनी खतरे से निपटने और इलाके में पहले से डटे सैनिकों की सहायता के लिए तैनात होंगे.
इस साल के अंत तक पूर्वोत्तर भारत के बार्डर इलाकों में सेना के 10 हजार जवानों की तैनाती की जाएगी. ये सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा की सुरक्षा के साथ-साथ पूर्वी क्षेत्र में चीनी खतरे से निपटने और इलाके में पहले से डटे सैनिकों की सहायता के लिए तैनात होंगे. इससे पहले 12 जनवरी को अपने एक बयान में आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा था कि, भारतीय सेना केवल पूर्वी लद्दाख ही नहीं, बल्कि पूरी एलएसी पर उच्च स्तर की निगरानी रख रही है. सेना एलएसी पर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है.
इधर, सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने गुरुवार को कहा है कि, भारत को कद बढ़ने के साथ ज्यादा सुरक्षा चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि रणनीतिक दबदबा कायम रखने के लिए रक्षा निर्माण क्षमताओं में वृद्धि करनी होगी क्योंकि दूसरे देशों पर हथियारों के लिए निर्भरता से संकट के समय में जोखिम बढ़ सकता है. सेना-उद्योग भागीदारी पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि सुरक्षा बलों को 2020 में कोविड-19 महामारी और उत्तरी सीमाओं पर ‘‘अस्थिरता” की दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा तथा आत्मनिर्भरता पर सरकार के ध्यान देने से देश के समग्र रणनीतिक लक्ष्यों को बढ़ावा मिलेगा.
उन्होंने कहा कि ‘‘हमारे प्रतिद्वंद्वियों” के साथ सीमाओं को लेकर अनसुलझे मुद्दे और पूर्व में हो चुके युद्ध के मद्देनजर हमें ‘छद्म युद्ध’ तथा ‘वामपंथी उग्रवाद’ जैसी चुनौतियों से भी निपटना पड़ सकता है. उन्होंने सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर (एसआईडीएम) द्वारा आयोजित सेमिनार में कहा, ‘‘भारत एशिया में, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में उभरता हुआ क्षेत्रीय वैश्विक ताकत है. जैसे-जैसे हमारा दर्जा और प्रभाव बढ़ता जाएगा, हमें ज्यादा सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.”
भारत की उत्तरी सीमाओं पर बढ़ रही सुरक्षा चुनौतियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इन सुरक्षा चुनौतियों के समाधान के लिए आधुनिकीकरण के जरिए सेना के क्षमता निर्माण में बढ़ोतरी करना जरूरी है. भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले आठ महीने से ज्यादा समय से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध चल रहा है. सेना प्रमुख ने कहा कि भारत अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में तेजी से रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण करने के लिहाज से पिछड़ रहा था. उन्होंने देश की समग्र सैन्य क्षमताओं में बढ़ोतरी के लिए स्वदेशी उद्योग से अनुसंधान और विकास में निवेश करने का आह्वान किया.
आर्मी जनरल ने ये भी कहा कि, ‘दूसरे देशों के उपकरणों पर सैन्य बलों की भारी निर्भरता को घटाना होगा और रक्षा क्षेत्र के लिए आज के समय की जरूरत के हिसाब से इसका समाधान करना होगा.” घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में निजी उद्योगों को सरकार की सुधार पहल का फायदा उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि सेना भी इसका पूरा समर्थन कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘हथियारों और उपकरणों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता से संकट के दौरान खतरा पैदा हो सकता है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में हमने स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देकर इस रूझान को पलटने का प्रयास किया है और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.”
Posted by: Pritish Sahay