रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने मंगलवार को बड़ी कामयाबी हासिल की है. देश की प्रतिष्ठित सरकारी संस्था रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने स्क्रैमजेट प्रपल्सन सिस्टम (Scramjet Propulsion System) के इस्तेमाल से हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी डिमॉन्स्ट्रेटर वीइकल (Hypersonic Technology Demonstration Vehicle) का सफलता पूर्वक परिक्षण किया. DRDO ने ओडिशा के बालासोर में एपीजे अब्दुल कलाम परीक्षण रेंज (व्हीलर द्वीप) से हाइपरसोनिक स्क्रैमजेट प्रपल्सन सिस्टम का टेस्टिंग की. बता दें कि स्क्रैमजेट प्रपल्सन सिस्टम को पूरी तरह से देश में ही बनाया गया है.
ओडिशा के बालासोर में एपीजे अब्दुल कलाम परीक्षण रेंज (व्हीलर द्वीप) से हाइपरसोनिक तकनीक विकसित करने और सफलतापूर्वक परीक्षण करने के बाद सोमवार को भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन गया, जिसके पास हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी है. बता दें कि यह स्वदेशी तकनीक ध्वनि की गति (मच 6) की छह गुना गति से यात्रा करने वाली मिसाइलों के विकास की ओर मार्ग प्रशस्त करेगी.
#WATCH DRDO‘s successful demonstration of the Hypersonic air-breathing scramjet technology with the flight test of Hypersonic Technology Demonstration Vehicle, at 1103 hours today from Dr. APJ Abdul Kalam Launch Complex at Wheeler Island, off the coast of Odisha pic.twitter.com/aC1phjusDH
— ANI (@ANI) September 7, 2020
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इसमें देश में विकसित सक्रेमजेट प्रपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले जून 2019 में इसका पहला परीक्षण किया गया था. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परीक्षण के तुरंत बाद DRDO को बधाई दी और स्वदेशी रूप से एक स्क्रैमजेट इंजन बनाने के उनके प्रयासों की प्रशंसा की. रक्षा मंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा कि, ‘मैं पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत की आकांक्षा को साकार करने की दिशा में इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए DRDO को बधाई देता हूं.’
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित हाइपरसोनिक टेस्ट डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का परीक्षण आज सुबह 11.03 बजे अग्नि मिसाइल बूस्टर का उपयोग करके किया गया. बता दें कि इस परीक्षण से DRDO में अगले पांच वर्षों में स्क्रैमजेट इंजन के साथ एक हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने की क्षमता होगी, जिसमें दो किलोमीटर प्रति सेकंड से अधिक की यात्रा करने की क्षमता होगी. इस परीक्षण का नेतृत्व DRDO प्रमुख सतीश रेड्डी और उनकी हाइपरसोनिक मिसाइल टीम ने किया.
Posted By – rajat kumar