कोरोना महासकंट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया. इस बैठक में तय किया गया कि लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की सैलेरी में से 30 फीसदी की कटौती अगले एक साल तक की जाएगी. इसके अलावा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपालों ने स्वेच्छा से अपने वेतन में कटौती का फैसला किया है. यह रकम भारत की संचित निधि में जमा होगी. इस फैसले को कार्य रूप देने के लिए एक अध्यादेश लाया जाएगा. बाद में जब संसद का सत्र शुरू होगा तो उसमें इस बारे में कानून पारित करा लिया जाएगा.
कैबिनेट ने मेंबर्स ऑफ पार्लियामेंट एक्ट, 1954 के तहत सैलरी, अलाउंस व पेंशन में संशोधन के अध्यादेश को मंजूरी दी जिसमें संसद के सभी सदस्यों का वेतन और पेंशन एक साल के लिए 30 फीसदी घटाया गया. बता दें कि यह कटौती 1 अप्रैल 2020 से लागू होगी. संसद अधिनियम 1954 के वेतन, भत्ते और पेंशन के नवीनतम संशोधन जो 2018 में हुआ था उसके अनुसार एक सांसद की महीने की सैलेरी एक लाख है. लोकसभा के प्रत्येक सदस्य को पांच साल तक हर महीने एक लाख रुपये सैलेरी के रूप में मिलती है.
वहीं राज्यसभा के सदस्य को इतनी ही सैलेरी हर महीने छह साल तक मिलती है क्योंकि राज्यसभा का कार्यकाल छह साल का होता है. इस सैलेरी के अलावा प्रत्येक सांसद को 2000 रुपये हर दिन का भत्ता भी मिलता हैं.अब सासंदों की सैलेरी एक लाख में से 30 प्रतिशत की कटौती के बाद उनको हर महीने अगले एक साल तक 70 हजार रुपये मिलेंगे.
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू और लद्दाख उपराज्यपाल आरके माथुर ने अपने वेतन का 30 प्रतिशत अगले एक साल तक कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में दान करने का एलान किया है.
पीएम मोदी ने सोमवार को अपने मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस पर चर्चा की. पीएम ने कहा कि लॉकडाउन के नियम और सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो किया जाना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद पैदा होने वाले हालात के लिए रणनीति बनाना जरूरी है. उन्होंने मंत्रालयों से 10 बड़े फैसलों और 10 प्राथमिकता वाले इलाकों की सूची बनाने के निर्देश दिए है.