पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा पर दागे मोर्टार, कुपवाड़ा में 3 नागरिकों की मौत

जम्मू-कश्मीर के पुंछ और कठुआ जिलों में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास पाकिस्तानी सेना ने अकारण गोलीबारी की और मोर्टार दागे, जिसमें 45 वर्षीय एक महिला घायल हो गई.

By ArbindKumar Mishra | April 12, 2020 7:19 PM

जम्मू : जम्मू-कश्मीर के पुंछ और कठुआ जिलों में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास पाकिस्तानी सेना ने अकारण गोलीबारी की और मोर्टार दागे, जिसमें कुपवाड़ा के रंगवार इलाके में 3 नागरिकों की मौत हो गयी.

अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा, सीमा पार से ताजा गोलाबारी दोपहर 1.40 बजे पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा के पास कस्बा और किरानी सेक्टरों में शुरू हुई, जिसका भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने संघर्षविराम का उल्लंघन शुरू किया और अंतिम रिपोर्ट आने पर दोनों सेनाओं के बीच सीमा पार से गोलीबारी जारी थी.

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इससे पहले, अधिकारियों ने बताया कि शनिवार देर रात पुंछ जिले के बालाकोट सेक्टर में लांजौत गांव की निवासी सलीमा बीवी घायल हो गई, जब उसके घर के पास मोर्टार का एक गोला फट गया. उन्होंने बताया कि भारी गोलाबारी के बीच सेना, पुलिस कर्मियों और स्वास्थ्य कर्मियों के एक संयुक्त दल ने महिला को बचाया और उसे अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसकी हालत स्थिर बताई गई है.

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अधिकारियों ने कहा कि बालाकोट के साथ मेंढर में शनिवार रात कई घंटों तक पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया जिससे सेना को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी. उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी गोलाबारी में कई घर क्षतिग्रस्त हो गए. अधिकारियों ने बताया कि जम्मू क्षेत्र के कठुआ जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास हीरानगर सेक्टर में रात भर पाकिस्तानी रेंजर्स और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बीच भारी गोलीबारी हुई.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने रात नौ बजे के आसपास करोल मटरई, फकीरा और चंदवा सहित तीन अग्रिम इलाकों पर गोलीबारी कर संघर्षविराम का उल्लंघन शुरू किया, जिसके बाद सीमा की निगरानी कर रहे बीएसएफ के जवानों ने उसका करारा जवाब दिया.

अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तानी रेंजरों ने चौकियों और गांवों को निशाना बनाने के लिए मोर्टार का इस्तेमाल किया, जिससे सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों में दहशत फैल गई, जिन्हें भूमिगत बंकरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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