101 साल पहले कैसा दिखता था इंडिया गेट, जानिए कितना बदल गया देश की राजधानी का केन्द्र
1921 में जब डयूक ऑफ कनॉट इंडिया गेट की नींव रख रहे थे, तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि आने वाले समय में यह भारत की सबसे बड़ी पहचान में से एक होगा. जल्द ही 42 मीटर उंची यह द्वार स्वतन्त्र भारत का राष्ट्रीय स्मारक बन गया. 1931 को यह पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था. इसे आर्किटेक्ट एडविन लुटियन ने तैयार किया था.
1921 शुरू हुआ था इंडिया गेट का निर्माण कार्य
1931 में बनकर पूरी तरह हुआ तैयार
101 साल में कितना बदल गया राष्ट्रीय राजधानी का यह स्मारक
India Gate: 1921 में जब डयूक ऑफ कनॉट इंडिया गेट की नींव रख रहे थे, तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि आने वाले समय में यह भारत की सबसे बड़ी पहचान में से एक होगा. जल्द ही 42 मीटर उंची यह द्वार स्वतन्त्र भारत का राष्ट्रीय स्मारक बन गया. 1931 को यह पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था. इसे आर्किटेक्ट एडविन लुटियन ने तैयार किया था. आज हम आपको इंडिया गेट के निर्माण के साथ साथ इसकी निर्माण के समय की तस्वीरें भी दिखाएंगे.
इण्डिया गेट को अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के नाम से भी जाना जाता है. इसका निर्माण अंग्रेजों ने प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में बनाया था. इसमें उन सैनिकों की भी यादें है तो अफगान युद्ध में शहीद हुए थे. सभी के नाम यहां की दीवारों पर अंकित किए गये हैं. इंडिया गेट पर 13,300 सैनिकों के नाम अंकित हैं, जिसमें भारतीय सैनिकों के साथ – साथ ब्रिटिश सैनिक भी शामिल हैं.
इंडिया गेट का निर्माणः इंडिया गेट 42 मीटर ऊंचा और 9.1 मीटर चौड़ा है. इसे राजस्थान से लाए लाल और पीले बलुआ पत्थरों से बनाया गया है. इसका पूरा परिसर करीब 4 सौ एकड़ में फैला हुआ है. इसकी मेहराब के नीचे अमर जवान ज्योति हमेशा जलती रहती है. इस अमर जवान ज्योति पर हर साल प्रधानमंत्री और तीनों सेनाध्यक्ष फूल चढ़ाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
अभी देश में नए सेंट्रल विस्टा के निर्माण की जोर शोर से बात चल रही है. इस निर्माण से राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक का पूरा नजारा बदल जाएगा. इस बड़े प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि विश्वस्तरीय सेंट्रल विस्टा बनाने की दिशा में काम चल रहा है.
हालांकि, बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण इस प्रोजेक्ट को रोके जाने की भी मांग उठ रही है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी. हालांकि, शीर्ष अदालत ने मामले को दिल्ली हाई कोर्ट भेज दिया है.
इंडिया गेट से होकर कई महत्वपूर्ण मार्ग निकलते हैं. शाम के समय रोगीन रौशनी से इंडिया गेट जगमग हो जाता है. अभी भी कई लोग देश विदेश से इंडिया गेट घुमने आते है. कई लोग यहां पिकनिक मनाते भी आते हैं. लेकिन बदलते समय के साथ इंडिया गेट के मायने में भी थोड़ा अंतर आ गया है. कई संगठनों और राजनीतिक दलों के लिए इंडिया गेट धरना प्रदर्शन का स्थल बन गया है. अपनी मांगों को लेकर लोग इंडिया गेट पर धरना देने बैठते हैं.
Posted by: Pritish Sahay