अफ्रीका मुक्त व्यापार समझौते के त्वरित क्रियान्वयन के लिए लिये ब्रिक्स और अफ्रीका साझेदारी को मजबूत करना जरूरी है. भारत और अफ्रीका के बीच लंबे समय से ऐतिहासिक, भौगोलिक और आर्थिक संबंध रहे हैं. जोहान्सबर्ग में क्लाइमेट चेंज कमीशन की मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने 9वें ब्रिक्स संसदीय फोरम को संबोधित करते हुए यह बात कही. सम्मेलन में ब्रिक्स सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दोनों महाद्वीपों के बीच व्यापार संबंध मजबूत हुए हैं. अफ्रीका के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 2022-2023 में पहले ही 98 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है. भारत अफ्रीकी वस्तुओं और उत्पादों के लिए एक बड़ा बाजार मुहैया कराता है. ड्यूटी फ्री टैरिफ प्रेफरेंस स्कीम’ जो भारत के कुल 98.2 फीसदी टैरिफ लाइनों के लिए शुल्क मुक्त पहुंच प्रदान करता है. इसके जरिये भारत ने अफ्रीकी देशों के लिए अपना बाजार खोल दिया है. अब तक 33 एलडीसी अफ्रीकी देश इस योजना का लाभ पाने के हकदार हैं.
उपसभापति ने कहा कि हाल ही में जी 20 के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ को शामिल किए जाने के साथ अफ्रीका के प्रति भारत के नजरिये को प्रदर्शित करता है. विकास साझेदारी, डिजिटल साक्षरता, कृषि, स्वच्छ और कुशल ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद से मुकाबला करने से लेकर महासागर की सुरक्षा तक, भारत का लक्ष्य अफ्रीका के साथ अपने संबंध का विस्तार करना है. समावेशी होने के ब्रिक्स के प्रयास की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि भारत समानता, खुलेपन, समावेशिता, आम सहमति, आपसी सम्मान और समझ की ब्रिक्स की भावना का पोषक है. विकासशील देशों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले ब्रिक्स ने बार-बार वैश्विक शासन प्रणाली के अधिक लोकतंत्रीकरण और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन, आदि जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सुधार की मांग की है. हमने ब्रिक्स में अपने कार्यों से यह प्रदर्शित किया है, हमने समूह में शामिल होने के लिए छह नए सदस्यों को आमंत्रित किया है. विषयगत चर्चा के अलावा फोरम में उठाए जाने वाले अन्य विषय अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (एएफसीएफटीए) के माध्यम से क्षेत्रीय एकीकरण, स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना शामिल है.
सम्मेलन में उन्होंने क्लाइमेट चेंज के शमन के लिये भारत सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बारे में बताया साथ ही विभिन्न देशों से आये सुझावों के बारे में भी बात की और कहा कि इन्हें ब्रिक्स देशों की पार्लियामेंट में डिस्कस कर आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिये. वे जलवायु परिवर्तन और विधायी गतिशीलता पर चर्चा में भी शिरकत करेंगे. हरिवंश के साथ राज्यसभा सांसद सुमित्रा वाल्मीकि और लोक सभा सांसद इंदिरा हांग सुब्बा भी इसमें शिरकत कर रहे हैं.