Loading election data...

भारत के इस हथियार का पाकिस्तान के पास नहीं है कोई जवाब

भारत और पाकिस्तान की सीमा पर अब भी गोलीबारी जारी है. भारतीय सेना ने कल पाकिस्तान के आतंकी लॉन्च पैड पर हमला कर भारी नुकसान पुहंचाया था. इस जवाबी कार्रवाई से बौखलाया पाक लगातार गोलीबारी कर रहा है.

By PankajKumar Pathak | April 11, 2020 8:20 PM

इस्लामाबाद : भारत और पाकिस्तान की सीमा पर अब भी गोलीबारी जारी है. भारतीय सेना ने कल पाकिस्तान के आतंकी लॉन्च पैड पर हमला कर भारी नुकसान पुहंचाया था. इस जवाबी कार्रवाई से बौखलाया पाक लगातार गोलीबारी कर रहा है.

इसे भी पढ़ें – केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोरोना की सबसे प्रभावी दवा बतायी

भारत के एक हथियार ने पाकिस्तान में खलबली मचा रखी है. इसी हथियार ने पीओके में आतंकी ठिकानों पर चुन चुन कर कहर बरपाया है. यह हथियार है बोफोर्स गन जो करगिल से लेकर अभी तक हर जंग में पाक पर भारी पड़ रहा है. भारत के इस हथियार के जवाब में पाकिस्तान के पास कोई हथियार नहीं है.

इस हथियार के दम पर भारत ने अपने शहीद जवानों का बदला लिया है. सूत्रों की मानें तो भारत ने पाकिस्तान के सेना की तोपों और ठिकानों को भी निशाना बनाया, जहां से इन आतंकियों को घुसपैठ के लिए मदद मिल रही थी. इन ठिकानों पर सटीक हमला करने के लिए बोफोर्स होवित्जर तोप का इस्तेमाल किया. इसी तोप ने 1999 के करगिल युद्ध में भी पाकिस्तानी फौज के छक्के छुड़ा दिए थे.

करगिल युद्ध में हुआ था पहली बार इस्तेमाल

इस तोप का पहली बार इस्तेमाल करगिल युद्ध के दौरान हुआ था. ऊंचाई और पहाड़ी इलाके में यह तोप बेहद कारगर है इसकी रेंज यहां बी 35 किमी से ज्यादा की होती है. यह सिर्फ 12 सेकंड 3 राउंड फायर करता है. 90 डिग्री ऐंगल पर भी यह दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकता है. फायर करने के बाद यह अपनी पोजिशन बदल सकता है.

इस तोप से जुड़ा राजनीतिक किस्सा

बोफोर्स घोटाला में कई लोगों का नाम सामने आया था. भारत सरकार और स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी एबी बोफोर्स के बीच 1,437 करोड़ रुपये का सौदा हुआ. यह सौदा भारतीय थल सेना को 155 एमएम की 400 होवित्जर तोप की सप्लाई के लिए हुआ था. इस सौदे के बाद खुलासा हुआ कि इसके लिए घूस दिया गया था. स्वीडिश रेडियो ने दावा किया कि कंपनी ने सौदे के लिए भारत के वरिष्ठ राजनीतिज्ञों और रक्षा विभाग के अधिकारी को घूस दिए हैं. इस दावे का असर यह हुआ कि कांग्रेस को 1989 के आम चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा. इस मामले ने खूब राजनीतिक रंग लिया

Next Article

Exit mobile version