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DRDO: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा भारत, डीआरडीओ को मानव रहित विमान की पहली उड़ान में मिली सफलता

मानवरहित विमान ने सटीकता के साथ कर्नाटक के चित्रदुर्ग में पहली उड़ान सफलतापूर्वक पूरी की. वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान, बेंगलुरु द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है जो डीआरडीओ की एक प्रमुख अनुसंधान प्रयोगशाला है.

By Piyush Pandey | July 1, 2022 7:40 PM
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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) ने शुक्रवार को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में अपने पूर्ण स्वचालित विमान की पहली उड़ान सफलतापूर्वक पूरी की. इस संबंध में एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि मानवरहित विमान (Autonomous Flying Wing) ने सटीकता के साथ उड़ान भरी और फिर सुगम तरीके से जमीन पर उतर गया. बयान के मुताबिक, यह उड़ान भविष्य के मानवरहित विमानों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को साबित करने के मामले में एक प्रमुख उपलब्धि है और यह सामरिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है.

जानिए भारतीय स्वादेशी विमान की खासियत

बयान में कहा गया कि इस मानवरहित वायुयान को वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान(Aeronautical Development Establishment), बेंगलुरु द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है जो डीआरडीओ की एक प्रमुख अनुसंधान प्रयोगशाला है. प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, यह एक छोटे टर्बोफैन इंजन (Turbofan Engine) द्वारा संचालित होता है. विमान के लिए उपयोग किए जाने वाले एयरफ्रेम, अंडर कैरिज और संपूर्ण उड़ान नियंत्रण तथा वैमानिकी प्रणाली स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं.

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रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ को दी बधाई

इस मौके पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर डीआरडीओ को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह स्वायत्त विमानों की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है और इससे महत्वपूर्ण सैन्य प्रणालियों के रूप में ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मार्ग भी प्रशस्त होगा. वहीं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इस प्रणाली के डिजाइन, विकास और परीक्षण से जुड़ी टीमों के प्रयासों की सराहना की है.

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