India Maldives Relations: भारत के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी पर मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने कहा, यह सरकार का रुख नहीं है. मेरा मानना है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था. मूसा जमीर ने कहा, इसकी पुनरावृत्ति न हो, हम यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कार्रवाई कर रहे हैं. एक गलतफहमी हो गई, सोशल मीडिया में. मालदीव और भारत की सरकारें समझती हैं कि क्या हुआ है और हम अब उस चरण को पार कर चुके हैं.
भारत-मालदीव रक्षा सहयोग पर क्या बोले मूसा जमीर
भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी, भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग पर मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने कहा, मुझे लगता है कि मालदीव-भारत रक्षा संबंध सैन्य कर्मियों से परे हैं. हमने मालदीव की सेना, भारतीय सेना और श्रीलंका के साथ एक संयुक्त अभ्यास किया है. मुझे लगता है कि बांग्लादेश एक पर्यवेक्षक है और हम ये अभ्यास जारी रखेंगे. हिंद महासागर की शांति और सुरक्षा मालदीव के साथ भारत के लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए हम हिंद महासागर को एक शांतिपूर्ण स्थान बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे.
मालदीव में भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट पर क्या बोले विदेश मंत्री
मालदीव में भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट पर मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने कहा, मुझे लगता है कि पर्यटन मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह भारतीय पर्यटकों का स्वागत करना चाहेंगे. उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि मैं उन सभी भारतीयों का स्वागत करूं जो मालदीव की यात्रा करना चाहते हैं. उन्होंने आगे कहा, पिछले आठ में भारत और मालदीव चुनावी चरण से गुजर रहा है. चुनाव खत्म होते ही भारतीय पर्यटकों का मालदीव यात्रा जारी रहेगा. उन्होंने कहा, 10 साल पहले के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो अच्छी संख्या में भारतीय पर्यटक मालदीव पहुंचे. कोरोना के समय बड़ी संख्या में भारतीय मालदीव पहुंचे. पिछले कुछ महिनों में मालदीव में भारतीय पर्यटकों की संख्या में 16 से 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन पिछले कुछ समय में निश्चित रूप से इसमें कमी आई है. मालदीव के विदेश मंत्री ने उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में स्थिति बदलेगी और भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी.
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क्या है मालदीव-भारत विवाद
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल की शुरुआत में लक्षद्वीप यात्रा की थी, जिसपर मालदीव के कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी. जिसके बाद भारत और मालदीव के बीच विवाद शुरू हो गया. पीएम के समर्थन में भारतीय पर्यटकों ने मानदीव का विरोध किया और लक्षयद्वीप को बढ़ावा देने के लिए अभियान शुरू किया. कुछ ही दिनों में मालदीव का पर्यटन बाजार कमजोर होने लगा, जिसके बाद उसने चीन से मदद की गुहार लगाई.
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