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India Nepal Relations: नेपाल में चीन के छोड़े दो बिजली परियोजनाओं को विकसित करेगा भारत

India Nepal Relations: नेपाल ने अपने देश में पनबिजली संयंत्र लगाने के लिए भारतीय कंपनी एनएचपीसी लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. एनएचपीसी की नेपाल में 750 मेगावॉट और 450 मेगावॉट की दो जलविद्युत परियोजनाएं विकसित करने की योजना है.

India Nepal Relations: नेपाल ने अपने देश में पनबिजली संयंत्र लगाने के लिए भारतीय कंपनी एनएचपीसी (NHPC) लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. चीन द्वारा परियोजनाओं से पीछे हटने के लगभग चार साल बाद नेपाल ने भारतीय कंपनी को दो बिजली परियोजनाओं वेस्ट सेटी हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट और सेटी रिवर हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को पूरा करने का जिम्मा सौंपा है.

नेपाल में दो जलविद्युत परियोजनाएं विकसित करेगी एनएचपीसी

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएचपीसी की नेपाल में 750 मेगावॉट और 450 मेगावॉट की दो जलविद्युत परियोजनाएं विकसित करने की योजना है. कंपनी ने इसके लिए नेपाल के साथ बृहस्पतिवार को करार किया है. दोनों परियोजनाओं की संयुक्त लागत लगभग 2.1 बिलियन अमरीकी डालर होने का अनुमान है. कंपनी ने बयान में कहा कि एनएचपीसी लिमिटेड ने नेपाल निवेश बोर्ड (IBN) के साथ एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत नेपाल में 750 मेगावॉट की वेस्ट सेती और 450 मेगावॉट की एसआर-6 जलविद्युत परियोजनाएं विकसित की जाएंगी.

एनएचपीसी की बढ़ेगी साख

बयान में बताया गया कि एनएचपीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एके सिंह और आईबीएन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुशील भट्टा ने इस समझौता पत्र पर 18 अगस्त को काठमांडू में हस्ताक्षर किए. इस अवसर पर नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा भी उपस्थित थे. देऊबा ने कहा कि यह समझौता नेपाल और भारत के बीच ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगा. उन्होंने नेपाल के विकास में भारत के सहयोग की भी सराहना की. वहीं, एके सिंह ने कहा कि इन परियोजनाओं के जरिये वैश्विक जलविद्युत कंपनी के तौर पर एनएचपीसी की साख बढ़ेगी.

वेस्ट सेती परियोजना: चीन और नेपाल के बीच कई मुद्दों पर था विवाद

चीन की कंपनी ने 2012 में वेस्‍ट सेती परियोजना को अपने हाथ में लिया था, लेकिन 2018 में वह अचानक इससे अलग हो गया. इससे पहले 2009 में चाइना नेशनल मशीनरी एंड इक्विपमेंट इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन (CMEC) ने भी एक परियोजना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. लेकिन, दो साल के भीतर ही कंपनी ने काम छोड़ दिया. वेस्ट सेती परियोजना को लेकर चीन और नेपाल के बीच कई मुद्दों पर विवाद हो गया था. इसमें बिजली बनने के बाद उसकी खरीद दर प्रमुख थी. चीनी कंपनी ने नेपाल की ओर से बताए गए बिजली के दर को नाकाफी बताया था. जबकि, काठमांडू इसे उचित बता रहा था. बताया जा रहा है कि चीन मनमानी दर पर बिजली बेचना चाहता था, लेकिन नेपाल उसके दबाव में नहीं आया जिसके बाद चीनी कंपनी ने इस परियोजना से बाहर निकलना उचित समझा.

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