Supreme Court on Sedition Law: विवादास्पद राजद्रोह कानून में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि राजद्रोह कानून और इसके परिणामस्वरूप दर्ज किए जाने वाले मामलों पर अस्थायी रोक लगाने वाला आदेश बरकरार रहेगा. कोर्ट ने केंद्र को इस प्रावधान की समीक्षा करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने के मद्देनजर सोमवार को अतिरिक्त समय दिया है.
प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट तथा बेला एम त्रिवेदी की पीठ से अटार्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने कहा कि केंद्र को कुछ और वक्त दिया जाए, क्योंकि संसद के शीतकालीन सत्र में इस सिलसिले में कुछ हो सकता है. देश के शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा कि यह विषय संबद्ध प्राधिकारों के विचारार्थ है और प्रावधान के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाले 11 मई के अंतरिम आदेश के मद्देनजर चिंता करने का कोई कारण नहीं है.
पीठ ने कहा, अटार्नी जनरलआर वेंकटरमानी ने दलील दी है कि 11 मई, 2022 को इस कोर्ट द्वारा जारी किए गये निर्देशों के संदर्भ में यह विषय संबद्ध प्राधिकारों का अब भी ध्यान आकृष्ट कर रहा है. उन्होंने आग्रह किया कि कुछ अतिरिक्त समय दिया जाए, ताकि सरकार द्वारा उपयुक्त कदम उठाया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस न्यायालय द्वारा इस वर्ष 11 मई को जारी अंतरिम निर्देशों के मद्देनजर प्रत्येक हित और संबद्ध रुख का संरक्षण किया गया है तथा किसी के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं है. उनके अनुरोध पर हम विषय को जनवरी 2023 के दूसरे हफ्ते के लिए स्थगित करते हैं. इसके साथ ही पीठ ने विषय पर दायर कुछ अन्य याचिकाओं पर भी गौर किया और केंद्र को नोटिस जारी कर 6 हफ्तों में जवाब मांगा.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को जारी अपने ऐतिहासिक आदेश में राजद्रोह कानून पर उस वक्त तक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कि केंद्र औपनिवेशिक काल के इस कानून की समीक्षा करने के अपने वादे को पूरा नहीं करता है. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस कानून के प्रावधानों के तहत कोई नया मामला दर्ज नहीं करने को भी कहा था.
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