देश का नाम इंडिया या भारत, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका, मंत्रालय में होगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने वाली याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस याचिका की कॉपी को संबंधित मंत्रालय में भेजा जाए वहीं फैसला होगा. याचिका में संविधान से इंडिया शब्द को समाप्त करने की मांग की गयी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने वाली याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि इस याचिका की कॉपी को संबंधित मंत्रालय में भेजा जाए वहीं फैसला होगा. याचिका में संविधान से इंडिया शब्द को समाप्त करने की मांग की गयी थी. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस याचिका पर पूरे देश की नजर थी. इस याचिका पर शुक्रवार को ही सुनवाई होनी थी लेकिन चीफ जस्टिस एसए बोबडे के उपलब्ध नहीं रहने के कारण से इसे दो जून किया गया.
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दो जून को भी किसी कारण इस पर सुनवाई नहीं हुई. आज यानी बुधवार को इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. हालांकि याचिकाकर्ता के अनुरोध पर कोर्ट ने कहा सरकार याचिका पर ज्ञापन की तरह विचार करेगी. इसके लिए रिट पिटीशन मंत्रालय में दाखिल करना होगा.
Supreme Court disposes off petition seeking its directions to the Centre to amend Constitution & replace the word 'India' with 'Bharat', directs petitioner to send copy of his writ petition as representation to concerned ministry(s) which will decide representation appropriately. pic.twitter.com/ZZK4NXV4QF
— ANI (@ANI) June 3, 2020
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, दिल्ली के रहने वाले याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस तरह का संशोधन देश के नागरिकों को गुलामी बोध से उबारने वाला साबित होगा. उसने संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन करके इंडिया शब्द हटा कर देश का नाम भारत या हिन्दुस्तान रखने की मांग की थी.
तर्कः इंडिया शब्द से गुलामी की अनुभूति
संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है कि भारत अर्थात इंडिया राज्यों का संघ होगा. याचिकाकर्ता ने कहा है कि इंडिया शब्द से गुलामी की अनुभूति होती है और यदि इसे हटाकर भारत या हिंदुस्तान का ही प्रयोग किया जाए तो इससे देशवासियों में राष्ट्रीय भावना विकसित होगी.याचिका में कहा गया है कि, अंग्रेजी नाम का हटना भले ही प्रतीकात्मक होगा लेकिन यह हमारी राष्ट्रीयता, खास तौर से भावी पीढ़ी में गर्व का बोध भरने वाला होगा.
इंडिया शब्द की जगह भारत किया जाना हमारे पूर्वजों द्वारा स्वतंत्रता संघर्ष में की गई कठिन भागीदारी को न्यायसंगत ठहराएगा. साल 1948 में संविधान के तत्कालीन मसौदे के अनुच्छेद 1 पर संविधान सभा में हुई बहस का उल्लेख करते हुए याचिका में कहा गया है कि उस वक्त भी देश का नाम भारत या ‘हिंदुस्तान’ करने के पक्ष में मजबूत लहर थी. याचिका में कहा गया है कि यह उचित समय है कि देश को उसके मूल और प्रमाणिक नाम भारत से जाना जाए.