मणिपुरः दूसरी बार CM बनेंगे एन बीरेन सिंह, BJP विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से चुने गए नेता

मणिपुर के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को आज इंफाल में मणिपुर बीजेपी विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से राज्य का मुख्यमंत्री चुना गया. इसी के साथ एन बीरेन सिंह एक बार फिर मणिपुर के मुख्यमंत्री बनेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 20, 2022 5:45 PM
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Manipur News मणिपुर के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (N Biren Singh) को आज इंफाल में मणिपुर बीजेपी विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से राज्य का मुख्यमंत्री चुना गया. इसी के साथ एन बीरेन सिंह एक बार फिर मणिपुर के मुख्यमंत्री बनेंगे. मणिपुर के लिए बीजेपी की केंद्रीय पर्यवेक्षक एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा करते हुए कहा कि एन बीरेन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने रहेंगे. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बीजेपी राज्य विधायक दल ने एन बीरेन सिंह को सर्वसम्मति से अपना नेता चुना है.

बीजेपी विधायकों के साथ बैठक में शामिल हुई निर्मला सीतारमण

इससे पहले केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू मणिपुर के नवनिर्वाचित बीजेपी विधायकों के साथ बैठक में शामिल होने के लिए रविवार को इंफाल पहुंचे. मणिपुर में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए निर्मला सीतारमण को केन्द्रीय पर्यवेक्षक और रिजिजू को सह-पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है. बता दें कि राज्य के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और विधायक टीएच बिश्वजीत तथा वाई. खेमचंद शनिवार को दिल्ली गए थे. केन्द्रीय श्रम मंत्री भूपेन्द्र यादव, भाजपा के राज्यसभा सदस्य लैशेम्बा सनाजाउबा और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा भी इंफाल आए हैं.

विधानसभा में बीजेपी को मिली 32 सीटें

मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में 32 सीट जीत कर भाजपा ने सत्ता में वापसी की है. वहीं, कांग्रेस महज 5 सीटों पर सिमट गई है. इसके अलावा एनपीपी को 7, एनपीएफ को 7 व अन्य के खाते में 11 सीटें गई हैं. वहीं, पिछले चुनाव 2017 में बीजेपी सीटों के मामले में कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर की पार्टी थी. इसके बावजूद भी उसने कांग्रेस के चुने हुए सदस्यों को अपने पाले में मिलाकर सरकार बना ली थी और एन बीरेन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे. बीजेपी 2017 में कांग्रेस की 28 सीटों की तुलना में सिर्फ 21 सीटें होने के बावजूद दो स्थानीय दलों एनपीपी और एनपीएफ के साथ हाथ मिलाकर सरकार बनाने में सफल रही थी.

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