-डॉ सीमा जावेद-
जी 20 की बागडोर संभाले 2023 से कदमताल करते हुए भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने की तैयारी में जुटा है. बढ़ते जलवायु जोखिमों मसलन मार्च -अप्रैल से ही गर्मी का कहर बढ़ने, सूखा या फिर बाढ़ से बर्बाद होती फसलों को रोकने के लिए सरकार ने इस बार बजट में ग्रीन ग्रोथ का प्रावधान किया है. सरकार का यह कदम हैरान करने वाला नहीं बल्कि समझदारी भरा है.
गौरतलब है कि इस साल तो पहले से ही मौसम और गर्म होने की भविष्यवाणी है ऐसे में भारत के मैदानी इलाकों में मार्च अप्रैल से ही सूरज के आग उगलने की उम्मीद जतायी जा रही है. अगर ध्यान से देखें तो इस साल का बजट अनेक ऐसे समाधान पेश कर रहा है जो आने वाले दिनों में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने में कारगर होंगे. साथ ही चरम मौसम की घटनाओं से आगे आने वाले समय में कोयला जनित बिजली से ज्यादा कारगर होंगे.
वैसे भी पेरिस समझौते की पूर्ति के लिये भारत ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है. नेशनल एनर्जी पॉलिसी (एनईपी) में 2030 तक स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करने और नयी विद्युत योजना के मसविदे में रिन्यूएबल एनर्जी का विस्तार करते हुए इसमें 36 मेगावाट की बढ़ोतरी करते हुए वर्ष 2027 के लक्ष्य को 186 गीगावाट कर दिया गया है.
ग्लोबल सोलर पावर ट्रैकर और ग्लोबल विंड पावर ट्रैकर के आंकड़ों के हिसाब से भारत को संभावित रिन्यूबल ऊर्जा क्षमता के मामले में शीर्ष 7 देशों में रखा गया है. अगर यह उम्मीद है साकार हुई तो भारत हर साल लगभग 78 मिलियन टन कोयले के इस्तेमाल को टाल सकता है.
वहीं हाल ही में शुरू किया गया राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, 19,700 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान के साथ, अर्थव्यवस्था की कार्बन ईंटेंसिटी को कम करने के साथ साथ, जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता को कम करेगा, साथ ही देश को इस उभरते क्षेत्र में टेक्नोलोजी और बाजार का नेतृत्व करने में मदद करेगा. सरकार का लक्ष्य 2030 तक 5 MMT के वार्षिक उत्पादन तक पहुंचना है. राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन नीति सरकार की पर्यावरण संरक्षण के प्रति दृढ़ इच्छा शक्ति की तरफ सीधा इशारा है.
टिकाऊ विकास के रास्ते पर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए, 4,000 MWH की क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को वायबिलिटी गैप फंडिंग के साथ संभाला जाएगा. पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं के लिए एक विस्तृत रूपरेखा भी तैयार की जायेगी. केंद्र ने हाल ही में अक्षय ऊर्जा क्षमता को भंडारित करने के लिए एक बिजली पारेषण (ट्रांसमिशन) प्रणाली बनाने के लिए 30 बिलियन डॉलर की योजना का अनावरण किया है. इसमें गुजरात और तमिलनाडु से 10 गीगावाट अपतटीय पवन ऊर्जा निकालने के लिए ट्रांसमिशन लाइनें स्थापित करने की प्रतिबद्धता भी शामिल है. वर्ष 2030 तक करीब 51 गीगावाट बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली स्थापित करने की एक नयी योजना की घोषणा की गयी है. इस क्रम में इस साल पेश बजट में टिकाऊ विकास के रास्ते पर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए, 4,000 MWH की क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को वायबिलिटी गैप फंडिंग के साथ संभाला जाएगा. पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं के लिए एक विस्तृत रूपरेखा भी तैयार की जायेगी.
अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल में आने वाली चुनौतियों के समाधान के रूप में इस साल पेश बजट ने रिन्यूबल एनेर्जी इवेक्यूएशन यानी सोलर, विंड, या अन्य रिन्यूबल सोर्स से बनी बिजली को फौरन वितरण के लिए ग्रिड तक पहुंचाना (क्योंकि बिजली को स्टोर कर के रखना मुश्किल है,इसलिए उसका फौरन वितरण ज़रूरी और कारगर होता है) पर ध्यान दिया है. इसके मद्देनजर, बजट में लद्दाख से 13 GW रिन्यूबल एनेर्जी के इवेक्यूएशन के लिए एक अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम बनाने के लिए 20,700 करोड़ का निवेश किया जायेगा. इसमें केंद्र सरकार द्वारा 8300 करोड़ का सहयोग रहेगा.
वहीं एनर्जी ट्रांजिशन के लिए इस बजट में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा एनर्जी ट्रांजिशन, नेट जीरो लक्ष्यों और एनर्जी सेक्योरिटी के लिए 35,000 करोड़ के पूंजी निवेश का प्रावधान है. साथ ही ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं, टिकाऊ विकास के रास्ते पर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए, 4,000 MWH की क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को वायबिलिटी गैप फंडिंग के साथ संभाला जाएगा. पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं के लिए एक विस्तृत रूपरेखा भी तैयार की जाएगी. ऐसी पृष्ठभूमि के साथ, इस बजट में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम होने की इबारत लिखी है. भले ही आलोचक इसे चुनाव के पहले वाला लोक लुभावने बजट कह रहे हों, मगर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए यह एक खुशखबरी है.
(लेखिका पर्यावरणविद, जलवायु परिवर्तन एवं स्वच्छ ऊर्जा की कम्युनिकेशन एक्सपर्ट हैं)