Loading election data...

Hunger Index में कंगाल पाकिस्तान के बुरे हैं हालात, भुखमरी से निपटने के लिए भारत को करना होगा ये काम

कोरोना महामारी के दौरान भारत ने अपने करोड़ों लोगों को भुखमरी की चपेट में आने से बचने के लिए कई-कई महीनों तक फ्री में राशन वितरण किया, लेकिन तकरीबन 121 देशों की सूची में उसका स्थान 107वां है.

By KumarVishwat Sen | October 16, 2022 6:31 AM

नई दिल्ली : ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में कंगाल पाकिस्तान के बुरे हालात हैं. हालांकि, भारत की स्थिति भी अच्छी नहीं है, लेकिन उसे भुखमरी से निपटने के लिए कुछ बेहद जरूरी उपाय करने होंगे. यह बात दीगर है कि कोरोना महामारी के दौरान भारत ने अपने करोड़ों लोगों को भुखमरी की चपेट में आने से बचने के लिए कई-कई महीनों तक फ्री में राशन वितरण किया, लेकिन तकरीबन 121 देशों की सूची में उसका स्थान 107वां है. हालांकि, इस सूची में पाकिस्तान 99वें स्थान पर है. पड़ोसी देशों में बांग्लादेश 84वें स्थान, नेपाल 81वें स्थान और श्रीलंका 64वें स्थान भारत के मुकाबले कहीं अच्छी स्थिति में हैं. एशिया में केवल अफगानिस्तान ही भारत से पीछे है और वह 109वें स्थान पर है.

भुखमरी पर कैसे रखी जाती है नजर

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) के जरिए ग्लोबल, रिजनल और नेशनल लेवल की भूखमरी पर नजर रखी जाती है और उसकी गणना की जाती है. 29.1 अंकों के साथ भारत में भूखमरी का लेवल ‘गंभीर’ है. भारत 2021 में 116 देशों में 101वें नंबर पर था, जबकि 2020 में वह 94वें पायदान पर था. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे अधिक भूख के स्तर वाले क्षेत्र, दक्षिण एशिया में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) सबसे अधिक है.

भारत में नाटापन 19.3 प्रतिशत

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ 19.3 प्रतिशत है, जो दुनिया के किसी भी देश में सबसे अधिक है और भारत की बड़ी आबादी के कारण यह इस क्षेत्र के औसत को बढ़ाता है. भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बच्चों में नाटापन की दर (चाइल्ड स्टंटिंग रेट) 35 से 38 फीसदी के बीच है और क्षेत्र में अफगानिस्तान में यह दर सबसे अधिक है.

भारत में 22.43 करोड़ आबादी कुपोषित

भारत में कुपोषण की व्यापकता 2018-2020 में 14.6 प्रतिशत से बढ़कर 2019-2021 में 16.3 हो गई है. इसका मतलब है कि दुनियाभर के कुल 82.8 करोड़ में से भारत में 22.43 करोड़ की आबादी कुपोषित है. पांच साल की आयु तक के बच्चों में मृत्यु दर के सबसे बड़े संकेतक ‘चाइल्ड वेस्टिंग’ की स्थिति भी बदतर हुई है. 2012-16 में 15.1 प्रतिशत से बढ़कर 2017-21 में यह 19.3 प्रतिशत हो गया है.

पोषण सुधार से भारत में घटा नाटापन

जीएचआई ने कहा कि रिसर्चर्स ने चार भारतीय राज्यों छत्तीसगढ़, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु में 2006 से 2016 के बीच नाटेपन की स्थिति में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारकों की पड़ताल की. रिपोर्ट में कहा गया है कि रिसर्चर्स ने पाया कि स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति घरेलू स्थिति (जैसे कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति एवं खाद्य सुरक्षा) और मातृत्व कारक (जैसे कि माताओं का स्वास्थ्य और शिक्षा) में सुधार आने के कारण नाटेपन की दर में गिरावट आई.

Also Read: भारत में भुखमरी की स्थिति चिंताजनक, वैश्विक भुखमरी सूचकांक में 101 वां स्थान, पाकिस्तान से भी हालात खराब
वैश्विक संकट बढ़ने पर बिगड़ सकते हैं हालात

जीएचआई ने कहा कि दुनिया संघर्ष, जलवायु संकट और यूक्रेन में युद्ध के साथ ही कोरोना महामारी के आर्थिक परिणामों के साथ भूख को खत्म करने के प्रयासों में गंभीर चुनौती का सामना कर रही है. रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि वैश्विक संकट के बढ़ने पर हालात और बिगड़ सकते हैं. इसमें कहा गया है कि संभावित समाधान और आवश्यक निवेश का पैमाना ज्ञात और परिमाणित है. इसके बजाय, समस्या नीति के क्रियान्वयन में है और दुनिया में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है.

Next Article

Exit mobile version