भारतीय समाज में लिंग आधारित भेदभाव के बीच एक खुशी की खबर आयी है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण ( NFHS-5) की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय लिंग अनुपात में बढ़ोतरी हुई है, जो अब प्रति 1000 पुरुष पर 934 महिला हो गयी है, जबकि NFHS-4 की रिपोर्ट में यह प्रति एक हजार पुरुष पर 919 महिला थी.
NFHS-5 की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि आठ राज्यों में लिंग अनुपात बढ़ा है जो खुशी की बात है. बात अगर बिहार की करें तो यहां प्रति एक हजार पुरुष पर शहरी इलाकों में महिलाओं की संख्या 982 है, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह अनुपात 1,111 है. वहीं कुल संख्या एक हजार 90 है.
पिछले पांच साल में पांच साल तक के बच्चों के जन्म के हिसाब से देखें तो प्रति एक हजार पुरुषों पर शहरी इलाकों में 940 बच्चियां हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों में 903 बच्चियां हैं, जबकि कुल संख्या प्रति हजार पर 908 है, जो NFHS-4 में 934 था.
बंगाल में लिंग अनुपात काफी अच्छी स्थिति में नजर आता है, जहां प्रति एक हजार पुरुष पर शहरी इलाकों में एक हजार 16 महिला है, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह संख्या एक हजार 65 है, जबकि कुल संख्या एक हजार 49 है, जो NFHS-4 में एक हजार 11 थी. यानी कि यहां लिंग अनुपात बढ़ा है.
पिछले पांच साल में पांच साल तक के बच्चों के जन्म के हिसाब से देखें तो शहरी क्षेत्रों में प्रति एक हजार पुरुष पर 921 महिला है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 993 है, वहीं कुल 973 है. NFHS-4 के मुकाबले इसमें मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गयी है, उस सर्वे में यह आंकड़ा 960 का था.
गौरतलब है कि NFHS-5 के पहले चरण में 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़े जारी किये गये हैं. जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है. आंध्रप्रदेश में प्रति हजार पुरुषों पर शहरी क्षेत्रों में एक हजार 24 महिला है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा एक हजार 55 का है. जबकि कुल अनुपात एक हजार 45 का है. पिछले सर्वे में यह आंकड़ा एक हजार 21 था. यानी महिलाओं की संख्या में अच्छी बढ़ोतरी हुई है. वहीं पिछले पांच साल में पांच साल तक के बच्चों के जन्म के हिसाब से देखें तो शहरी क्षेत्रों में 877 महिलाएं हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 957 का है. कुल आंकड़ा प्रति एक हजार पर 934 है, जबकि NFHS-4 में यह 914 था.
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Posted By : Rajneesh Anand