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हमास-इजराइल युद्ध में आम नागरिकों के मारे जाने पर भारत ने की कड़ी निंदा, पीएम मोदी ने दिया फाइव सी का मंत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने सात अक्टूबर को इजराइल पर हुए भयावह आतंकवादी हमले में निंदा की है. संयम के साथ ही हमने बातचीत और कूटनीति पर जोर दिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने फलस्तीनी प्राधिकरण के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ फोन पर हुई बातचीत का भी जिक्र किया.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमास और इजराइल के बीच जारी संघर्ष में आम नागरिकों के मारे जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए शुक्रवार को कहा कि पश्चिम एशिया के घटनाक्रम से नई चुनौतियां उभर रही हैं और अब वक्त आ गया है कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों को पूरी दुनिया के व्यापक हित में मिल कर आवाज उठानी चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने भारत द्वारा आयोजित दूसरे ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने पश्चिम एशिया में हालात से निपटने के लिए बातचीत, कूटनीति तथा संयम बरतने पर जोर दिया है.

जी-20 की उपलब्धियों के बारे में दी जानकारी

इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन में शामिल हुए नेताओं को भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी20 की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी, जिसमें अहम जोर ‘ग्लोबल साउथ’ अथवा विकासशील देशों के सामने पेश आने वाली चुनौतियों से निपटने में रहा. उन्होंने कहा कि वैश्विक समृद्धि के लिए सबका साथ, सबका विकास जरूरी है, लेकिन हम सब देख रहे हैं कि पश्चिम एशिया के घटनाक्रम से नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं.

इजराइल पर आतंकी हमले की भारत ने की निंदा

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि भारत ने सात अक्टूबर को इजराइल पर हुए भयावह आतंकवादी हमले में निंदा की है. संयम के साथ ही हमने बातचीत और कूटनीति पर जोर दिया है. हम हमास और इजराइल के बीच जारी संघर्ष में आम नागरिकों के मारे जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने फलस्तीनी प्राधिकरण के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ फोन पर हुई बातचीत का भी जिक्र किया.

भारत ने फलस्तीनियों के लिए भेजी मानवीय सहायता

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति महमूद अब्बास से बातचीत के बाद हमने फलस्तीन के लोगों के लिए मानवीय सहायता भेजी. अब वक्त आ गया है कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों को पूरी दुनिया के व्यापक हित में मिल कर आवाज उठानी चाहिए. प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन में पांच ‘सी’ (परामर्श, संचार, सहयोग, रचनात्मकता और क्षमता निर्माण) के ढांचे के तहत सहयोग की अपील की. उन्होंने कहा कि एक पृथ्वी, एक कुटुंब और एक भविष्य के लिए चलिए हम पांच ‘सी’ के साथ आगे बढ़ें. ‘एक पृथ्वी, एक कुटुंब और एक भविष्य’ इस वर्ष भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी20 का थीम था.

वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ सर्वश्रेष्ठ मंच

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ को 21वीं सदी की बदलती दुनिया को प्रतिबिम्बित करने वाला सर्वश्रेष्ठ मंच करार दिया. उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता वैश्विक स्तर पर जी20 को समावेशी और मानव-केन्द्रित बनाना थी. हमारा प्रयास था कि जी20 का लक्ष्य लोगों का, लोगों के द्वारा और लोगों के लिए विकास हो. उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य के साथ हमने इस वर्ष जनवरी में पहली बार ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ का आयोजन किया. भारत के विभिन्न राज्यों में जी20 संबंधित 200 से अधिक बैठकें हुईं, जिसमें हमने ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को तरजीह दी.

जी20 में अफ्रीकी संघ शामिल

‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है, जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है, ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं. प्रधानमंत्री ने जी20 में अफ्रीकी संघ के शामिल होने का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा कि मैं उस ऐतिहासिक क्षण को नहीं भूल सकता जब भारत के प्रयासों से अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया था.

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ग्लोबल साउथ और नॉर्थ के बीच न बढ़े दूरी

उन्होंने जी20 में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों की चर्चा करते हुए कहा कि इस बार जी20 देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए धन देने पर महत्वपूर्ण गंभीरता दिखाई है. इसके साथ ही, जी20 में ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों को जलवायु परिवर्तन पर आसान शर्तों पर वित्त और प्रौद्योगिकी प्रदान करने की सहमति बनी. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का मानना है कि नई तकनीक से ‘ग्लोबल साउथ’ और ‘नॉर्थ’ के बीच दूरियां नहीं बढ़नी चाहिए. आज कृत्रिम मेधा के युग में तकनीक का जिम्मेदाराना तरीके से इस्तेमाल करने की बेहद जरूरत है.

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