जबकि पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जंग लड रही है ऐसे वक्त में भी चीन अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहा और भारत को परेशान करने पर तुला है. तीन दिन पहले भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव की खबर मीडिया में आयी थी. सिक्किम से सटी सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव देखने को मिला था. हालांकि विवाद को बातचीत की बदौलत सुलझा लिया गया था. अब चीन की सीमा से सटे लद्दाख का इलाका भी चर्चा में आ चुका है. चीन के साथ भारत की विवादित सीमा के लद्दाख क्षेत्र में भारतीय जवान अलर्ट पर है.
ऐसी खबरें आ रहीं हैं कि चीन की पीएलए ने गलवान नदी के पास टेंट लगाने का काम किया है. यही नहीं उसने देमचोक क्षेत्र में निर्माण भी शुरू कर दिया. आपको बता दें कि 1962 की जंग के दौरान गलवान नदी की चर्चा हुई थी.
इस संबंध में इकनॉमिक टाइम्स ने एक खबर प्रकाशित की है जिसमें उसने इस मामले से संबंध रखने वालों से बातचीत की है. इकनॉमिक टाइम्स की मानें तो पिछले तीन हफ्ते से लद्दाख क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है. हालांकि अधिकारियों की मानें तो स्थापित संवाद चैनलों के माध्यम से हालात को धीरे-धीरे नियंत्रण में लाया जा रहा है. सेना की ओर से कहा गया है कि ऐसे छोटे मोटे मामले देखने को मिल जाते हैं क्योंकि भारत-चीन का सीमा विवाद अब तक हल नहीं हुआ है.
मामले को लेकर रक्षा सूत्रों का कहना है कि 1962 में चीनी आक्रमण के गवाह बने गलवान नदी के इलाके में हाल ही में भारत-चीन के सैनिक आमने-सामने हुए थे जिसके बाद इस इलाके की चर्चा हो रही है. हालांकि भारतीय जवान इस क्षेत्र में नहीं हैं. दोनों पक्षों ने विवादित सीमा के पास अपने-अपने इलाके से सैनिकों को पीछे खींच लिया है.
भारत और चीन सीमा पर तनाव के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में देशों की सेना एक-दूसरे पर कड़ी निगरानी बनाए हुए है. सूत्रों ने इसकी पुष्टि की. आपको बता दें कि पिछले सप्ताह क्षेत्र में पैंगोंग झील के निकट दोनों पक्षों के लगभग 250 सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. सूत्रों ने बताया कि पांच मई को दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच झड़प के बाद क्षेत्र में चीन-भारत सीमा के निकट चीन के कम से कम दो हेलीकॉप्टरों को उड़ान भरते देखा गया. इसके बाद भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 लड़ाकू विमानों ने भी वहां उड़ान भरी. झड़प के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के सैनिक अपने-अपने स्थानों पर बने रहे. हालांकि तनाव और बढ़ने की आशंका में अतिरिक्त टुकड़ियों को लाया गया.
सूत्रों ने बताया कि गत मंगलवार की शाम को सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद क्षेत्र के हालात तनावपूर्ण बने रहे. स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद छह मई को दोनों पक्ष गतिरोध समाप्त करने पर सहमत हो गए. एक सूत्र ने बताया कि झड़प के बाद क्षेत्र में दोनों पक्षों द्वारा कुछ सैनिकों को रखा गया है. उन्होंने कहा, ‘‘ स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है.” सेना के प्रवक्ता ने पूछे जाने पर कहा, ‘‘वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर झड़प और आक्रामक रूख की घटनाएं हुई है. स्थानीय स्तर की बातचीत और संवाद के बाद ये गश्ती दलों का मतभेद दूर हो जाता है. सीमा के मामले का समाधान नहीं होने के कारण अस्थायी और अल्प अवधि के लिए झड़पें होती हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट करता हूं कि पैंगोंग त्सो झील में लगातार तनातनी नहीं रही है और क्षेत्र में सशस्त्र सैनिकों का जमावड़ा नहीं है.”
भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के सूत्रों ने बताया कि सुखोई-30 लड़ाकू विमानों समेत उसके विमानों ने छह मई को क्षेत्र में नियमित उड़ान भरी थी. उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष द्वारा क्षेत्र में भारतीय हवाई क्षेत्र का उल्लंघन नहीं किया गया था. भारतीय वायुसेना लेह और थोईस एयरबेस से इस क्षेत्र में नियमित रूप से उड़ानें भरती है. पांच मई की देर शाम पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों के बीच झड़प तथा पथराव हुआ जिसमें दोनों ओर से कुछ सैनिक घायल हुए थे. सूत्रों ने बताया कि एक अन्य घटना में करीब 150 भारतीय और चीनी सैन्य कर्मियों के बीच शनिवार को चीन-भारत सीमा पर सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास झड़प हुई थी जिसमें दोनों ओर के कम से कम 10 सैनिकों को चोटें आयीं थी.
दोनों देशों के सैनिकों के बीच इस तरह की घटना पैंगोंग झील के पास अगस्त 2017 में हुई थी. उसके बाद यह ऐसी पहली घटना है. भारत और चीन के सैनिकों के बीच 2017 में डोकलाम ट्राई जंक्शन के पास 73 दिन तक गतिरोध कायम रहा था. उस घटना से दोनों परमाणु सम्पन्न देशों के बीच युद्ध की आशंकाएं भी उत्पन्न हो गई थीं. भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर है. यह दोनों देशों के बीच अघोषित सीमा है. चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है जबकि भारत इसका खंडन करता आया है. दोनों पक्षों का कहना है कि सीमा मुद्दे का हल होने तक सीमा क्षेत्रों में शांति बनाये रखना जरूरी है.