Newsletter: सम्मेद शिखर से रामचरितमानस तक इस सप्ताह रहे सुर्खियों में, जानें इन बड़ी खबरों को…

आदिवासियों का कहना है कि पारसनाथ में उनके मरांग बुरु हैं और वे वर्षों से यहां अपने धार्मिक कार्यों को करते रहे हैं. अब जैन समाज यह चाह रहा है कि पारसनाथ में सबकुछ उनके हिसाब से हो, यह संभव नहीं है.

By Rajneesh Anand | January 14, 2023 3:34 PM
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आज शनिवार है और एक सप्ताह का अंत होने वाला है. इस सप्ताह की खबरों पर अगर निगाह डालें तो पायेंगे कि कई बड़ी घटनाएं घटीं जिनका प्रभाव आमजन पर पड़ा. अगर आप अपनी दिनचर्या में अत्यधिक व्यस्त रहे और खबरों से अपडेट नहीं रह पाये, तो हम आपके लिए लेकर आये हैं उन खबरों की संक्षिप्त जानकारी जिसमें आप पढ़ सकते हैं इस हफ्ते की बड़ी खबरों के बार में पूरी बात.

1. नहीं थमा सम्मेद शिखर विवाद

सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र घोषित किये जाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ जैन समाज आंदोलरत था जिसके बाद पांच जनवरी को केंद्र सरकार ने यह अधिसूचना जारी कर दी कि सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र घोषित नहीं किया जायेगा, यह धार्मिक स्थल ही बना रहेगा. केंद्र सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि सरकार के फैसले के खिलाफ कई जैन मुनियों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया था. इसमें जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज की मौत भी हो गयी थी. यही वजह थी कि सरकार ने अपना फैसला बदल दिया. बावजूद इसके सम्मेद शिखर का विवाद नहीं थमा, वजह यह है कि अब जैन और आदिवासी समाज आमने-सामने आ गये हैं.

आदिवासियों का कहना है कि पारसनाथ में उनके मरांग बुरु हैं और वे वर्षों से यहां अपने धार्मिक कार्यों को करते रहे हैं. अब जैन समाज यह चाह रहा है कि पारसनाथ में सबकुछ उनके हिसाब से हो, यह संभव नहीं है. आदिवासी यह कह रहे हैं कि जैन समाज काफी बाद में यहां आया है और हम वर्षों से यहां पूजा-पाठ करते आ रहे हैं. अपनी मांगों के समर्थन में गिरिडीह के पारसनाथ में 10 जनवरी को आदिवासी समाज के लोगों का महाजुटान हुआ. इस जुटान में आदिवासियों ने अपनी मांग को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और उन्हें निशाने पर लिया. इस महाजुटा में झारखंड के विभिन्न हिस्सों से आदिवासी शामिल हुए.

डेवलपमेंट : मकर संक्रांति के अवसर पर आदिवासी और जैन दोनों ही समुदाय के लोग यहां अपनी-अपनी आस्था के अनुसार हजारों की संख्या में पूजा-पाठ के लिए उपस्थित होंगे.

2. अगले साल मकर संक्रांति तक मंदिर में विराजमान हो जायेंगे रामलला

नरेंद्र मोदी सरकार ने अपना वादा निभाते हुए राममंदिर का निर्माण कार्य पांच अगस्त 2020 में शुरू करवाया था. अब यह सूचना आयी है कि 2024 के जनवरी में मकर संक्रांति के अवसर पर रामलला के बाल स्वरूप की मूर्ति विराजमान हो जायेगी. इसे मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक भी माना जा रहा है क्योंकि 2024 में लोकसभा चुनाव भी होना है.

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ऐसी सूचना है कि अयोध्या में रामजन्मभूमि पर नवनिर्मित मंदिर में स्थापित की जाने वाली रामलला की मूर्ति की ऊंचाई में अब परिवर्तन करने का निर्णय किया गया है. रामलला की मूर्ति थोड़ी ऊंची बनाये जाने पर रामनवमी पर सूर्य की किरणों से उनका अभिषेक हो सकेगा. इसके लिए नेशनल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों और अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने रामलला की मूर्ति की ऊंचाई 8.5 फीट रखने का सुझाव दिया है. इस पर सहमति बन गई है. वहीं मंदिर का निर्माण कार्य 60 फीसदी पूरा हो गया है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक वर्तमान योजना के मुताबिक पांच फीट ऊंची मूर्ति बनाये जाने पर सूर्य की सीधी किरणें नहीं पड़ेंगी. कहा जा रहा है कि भगवान रामलला की मूर्ति पांच वर्ष के बालक स्वरूप की होगी, जो खड़ी अवस्था में होगी. इससे पहले ट्रस्ट ने रामलला की बैठी हुई मुद्रा की मूर्ति स्थापित करने का मन बनाया था. वहीं मूर्ति का निर्माण श्लोक ‘नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं” के मुताबिक किया जाएगा. इस श्लोक में कहा गया है कि भगवान राम के नीले कमल के समान श्याम और कोमल अंग हैं. मूर्ति में रामलला का बालपन नजर आएगा.

डेवलपमेंट : 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा राममंदिर को मुद्दा बनायेगी. भाजपा ने अपने एजेंडे के अनुसार आर्टिकल 370 को कश्मीर से हटाया और राम मंदिर का निर्माण कार्य भी पूरा करा लेगी. समान नागरिक संहिता का वादा हालांकि मोदी सरकार ने पूरा नहीं किया है, लेकिन राम मंदिर के मुद्दे को वह पूरे जोर-शोर से चुनाव में उठायेगी.

3. रामचरितमानस पर बिहार के शिक्षा मंत्री के बयान से हंगामा
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बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया, जिसके बाद वहां राजनीति तेज हो गयी है. उनकी अपनी ही पार्टी जदयू ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. आज जदयू के नेताओं ने हनुमान मंदिर में एमएलसी नीरज कुमार के नेतृत्व में रामचरितमानस का पाठ किया. जदयू का कहना है कि शिक्षामंत्री का यह बयान कहीं से भी उचित नहीं है. वहीं जदयू के सहयोगी राजद ने उनका साथ दिया है और बयान को सही बताया है. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने प्रो चंद्रशेखर के बयान को जहां सही बताया है वहीं लालू यादव का परिवार इस मसले पर चुप्पी साधे हुए है. राजद भी इस मसले पर एक साथ नजर नहीं आ रहा है और वह दो फाड़ हो चुका है. भाजपा ने तो पूरे मामले में मोर्चा ही खोल रहा रखा है और शिक्षा मंत्री को निशाने पर रखा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस मामले से दूरी बनाकर रखा है.

डेवलपमेंट : इसमें कोई दो राय नहीं है कि रामचरितमानस हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ है और उसपर कोई भी आपत्तिजनक टिप्पणी हिंदू समाज स्वीकार नहीं करता है. चूंकि चुनाव नजदीक हैं और कोई भी पार्टी बहुसंख्यक वोटर्स को नाराज नहीं करना चाहती है इसलिए कहना ना होगा कि शिक्षा मंत्री को अपने इस बयान पर पछताना ही पड़ेगा.

4. जोशीमठ में धंस रही है जमीन

जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना सामने आयी है जिसके बाद यहां लगभग पांच हजार परिवारों पर संकट के बादल छा गये हैं. इन लोगों को वहां से दूर हटाने की बात की जा रही है ताकि वे सुरक्षित रहें, लेकिन वे अपना छोड़कर वहां से जाना नहीं चाह रहे हैं. इसरो की हाल में एक रिपोर्ट सामने आयी जिसमें यह दावा किया गया कि 12 दिन में जोशीमठ में जमीन 5.4 सेंटीमीटर धंस गयी. बताया जा रहा है कि 760 मकानों में दरारें आयी हैं और उनमें से 147 को असुरक्षित घोषित किया गया है, यानी वहां रहना खतरनाक है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इलाके का दौरा करने के बाद राहत पैकेज की घोषणा भी की. लोगों को किराये के लिए 4000 रुपये भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं ताकि लोग वहां से हटें.

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जोशीमठ में जो कुछ हुआ उसके लिए एनटीपीसी के हाइड्रो पावर प्रॉजेक्ट और सुरंग को जिम्मेदार बताया जा रहा है. लेकिन एनटीपीसी का कहना है कि जोशीमठ के क्षेत्र में जमीन घंसने में एनटीपीसी के प्रोजेक्ट की कोई भूमिका नहीं है. एनटीपीसी ने कहा कि तपोवन विष्णुगड पनबिजली परियोजना से जुड़ी 12 किलोमीटर लंबी सुरंग, जोशीमठ शहर से एक किलोमीटर दूर है और जमीन से कम से कम एक किलोमीटर नीचे है, इसलिए उनकी वजह से जोशीमठ में भू-धंसान संभव नहीं है.

डेवलपमेंट : जोशीमठ संकट की वजह क्या है इसपर अभी मंथन जारी है. सरकार ने इसकी वजह तलाशने का काम कई एजेंसियों को सौंपा है. वे जांच के बाद ही यह बता पायेंगी कि जोशीमठ संकट मानव निर्मित है या यह प्राकृतिक आपदा है.

5. आरआरआर के गाने को मिला गोल्डन ग्लोब अवार्ड

दक्षिण भारतीय फिल्मों का जलवा सिर्फ देश में नहीं बल्कि विदेशों में भी दिखा है. एसएस राजामौली की आरआरआर के एक गाने नाचो-नाचो को गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड मिला है. यह अवार्ड सर्वश्रेष्ठ ओरिजिनल साॅन्ग के कैटेगरी में मिला है. आरआरआर को सर्वश्रेष्ठ गैर अंग्रेजी फिल्म के लिए भी नामित किया गया था. गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स का 80वां संस्करण अमेरिका में कैलिफोर्निया के बेवेर्ली हिल्स स्थित बेवेर्ली हिल्टन में हुआ. इस फिल्म में साउथ के सुपरस्टार जूनियर एनटीआर और रामचरण के साथ आलिया भट्ट ने मुख्य भूमिका निभाई है.

डेवलपमेंट : आरआरआर की इस सफलता ने अन्य फिल्मों के लिए भी ग्लोडन ग्लोब का रास्ता खोल दिया है. अब कई अन्य फिल्मकार भी उत्साहित होकर इस नजरिये से फिल्म निर्माण करेंगे कि उन्हें भी कोई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल सकता है.

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