भारत के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट का कोरोना वैरिएंट का पता लगाने वाले फोरम से इस्तीफा, सरकार से थे मतभेद

India Top virologist Shahid Jameel resigns: भारत के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने इस्तीफा दे दिया है. शाहिद जमील कोरोना वायरस के वेरिएंट का पता लगाने के लिए सरकार द्वारा स्थापित वैज्ञानिक सलाहकारों में शामिल थे. महमारी से निपटने के लिए अधिकारियों के सवाल उठाने के बाद उन्होंने रॉयटर्स को इस बात की जानकारी दी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2021 8:37 AM

aभारत के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने इस्तीफा दे दिया है. शाहिद जमील कोरोना वायरस के वेरिएंट का पता लगाने के लिए सरकार द्वारा स्थापित वैज्ञानिक सलाहकारों में शामिल थे. महमारी से निपटने के लिए अधिकारियों के सवाल उठाने के बाद उन्होंने रॉयटर्स को इस बात की जानकारी दी.

INSACOG के नाम से जाने जाने वाले फोरम के वैज्ञानिक सलाहकार समूह के अध्यक्ष शाहिद जमील ने हालांकि अभी तक अपने इस्तीफे कारण नहीं बताया है और कारण बताने से इनकार भी कर दिया है. उन्होंने टेक्सट मैसेज में कहा कि वो इस्तीफे का कारण बताने के लिए बाध्य नहीं हैं. साथ ही कहा की उन्होंने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया है.

INSACOG की देखरेख करने वाले जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव रेणु स्वरूप से भी जब इस मामले में जानकारी मांगी गयी तो उन्होंने भी कोई जवाब देने से इनकार कर दिया. इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस मामले में अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है.

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INSACOG से जुडे एक सदस्य ने कहा कि उन्हें जमील और सरकार के बीच किसी भी प्रकार की असहमति के बारे में जानकारी नहीं है. हालांकि फोरम का हिस्सा रहे एक शीर्ष सरकारी वैज्ञानिक ने नाम नहीं बताने कि शर्त पर कहा कि उन्हें नहीं लगता था कि जमील के जाने से INSACOG के वायरस वेरिएंट की निगरानी में किसी प्रकार की समस्याएं आयेंगी.

रॉयटर्स के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में बताया था कि भारतीय SARS-CoV-2 जेनेटिक्स कंसोर्टियम, INSACOG ने मार्च की शुरूआत में सरकारी अधिकारियों को देश में कोरोनावायरस के एक नए और अधिक संक्रामक संस्करण ‍B.1.617 के बारे में चेतावनी दी थी. पर इसे अनदेखा किया गया. यही कारण है कि कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मामलें इस वक्त भारत में आ रहे हैं.

हालांकि जब शाहिद जमील से पूछा गया था कि सरकार INSACOG के रिपोर्ट्स को गंभीरता से क्यों नहीं ले रही है. चुनावी कार्यक्रम रद्द क्यों नहीं किये जा रहे हैं. बड़ी सभाओं को स्थागित क्यों नहीं किया जा रहा है. जमील ने जवाब देते हुए कहा था कि अधिकारी पर्याप्त सबूत होने के बाद भी इस गंभीर मसले पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. जबकि अधिकारी खुद ही नीति निर्धारित करते हैं.

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Posted BY: Pawan Singh

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