‘जल, नभ और थल…’ सेना ने कोविड के खिलाफ लड़ाई में संभाला मोर्चा, PM मोदी ने तारीफ में कही यह बात

नयी दिल्ली : कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हमारी सेनाएं जी जान से जुटी हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने गुरुवार को ट्वीट किया कि जल, थल और नभ... हमारे सशस्त्र बलों ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. प्रधानमंत्री का ट्वीट राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के ब्लॉग पोस्ट पर आया है. जिसमें राजनाथ ने बताया कि भारतीय आर्मी (Indian Army), नेवी (Indian Navy) और एयरफोर्स (Indian Air Force) किस प्रकार से कोविड के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान दे रही है. आज दुनिया जिसे अब तक का सबसे बड़ा संकट बता रही है उसके खिलाफ लड़ाई में सेना का योगदान सराहनीय है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2021 7:15 PM
an image

नयी दिल्ली : कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हमारी सेनाएं जी जान से जुटी हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने गुरुवार को ट्वीट किया कि जल, थल और नभ… हमारे सशस्त्र बलों ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. प्रधानमंत्री का ट्वीट राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के ब्लॉग पोस्ट पर आया है. जिसमें राजनाथ ने बताया कि भारतीय आर्मी (Indian Army), नेवी (Indian Navy) और एयरफोर्स (Indian Air Force) किस प्रकार से कोविड के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान दे रही है. आज दुनिया जिसे अब तक का सबसे बड़ा संकट बता रही है उसके खिलाफ लड़ाई में सेना का योगदान सराहनीय है.

सशस्त्र बलों के अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा, कोविड राहत के लिए पूर्ण वार मोड में काम कर रहे हैं. वे आने वाले हफ्तों और महीनों में महामारी की दूसरी लहर से निपटने में मदद करने के लिए एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं. पीएम मोदी ने भी 26 अप्रैल के बाद से अब तक सेना प्रमुखों के साथ तीन-तीन बार बैठकें की हैं. ऑक्सीजन की मांग का पूरा करने के लिए सेना न केवल देश के विभिन्न हिस्सों में बल्कि विदेशों से भी मदद लाने का काम कर रही है.

ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए वायुसेना के विमान हर दिन कई घंटे उड़ान भर रहे हैं. देश में खाली कंटेनरों को डिपो तक पहुंचाना हो या विदेशों से क्रायोजेनिक टैंकरों को भारत लाना हो. वायुसेना के जवान इसमें भिड़े हुए हैं. वहीं नौसेना भी सप्लाई को सुदृढ़ बनाने के लिए समंदर में मीलों का सफर तय कर रही है. सेना के अस्पतालों को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है.

Also Read: कोरोना संक्रमितों में बढ़ रहा है ब्लैक फंगल इंफेक्शन, कई मरीजों में दिखे लक्षण, जानिए क्या है यह जानलेवा इंफेक्शन

सेना के लिए काम करने वाला संगठन रक्षा एवं अनुसंधान परिषद (डीआरडीओ) देश भर में 500 ऑक्सीजन प्लांट लगाने के काम में दिन रात जुटा है. फाइटर जेट तेजस की तकनीक वाले ऑक्सीजन संयंत्रों को स्थापित करने का काम लगातार जारी है. कई अस्पतालों में संयंम्र लगा भी दिये गये हैं. इस राज्यों में तो अस्पतालों के संचालन का काम भी सेना के हवाले कर दिया गया है.

इतना ही नहीं डीआरडीओ कई बड़े शहरों में बेड की कमी के बीच अस्थायी कोविड अस्पताल भी कम समय में तैयार करके दे रहा है. वायुसेना ने ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए अपने आठ C-17 ग्लोबमास्टर III विमान, चार IL-76s, 10 C-130J सुपर हरक्यूलिस विशेष परिचालन विमान, 20 An-32 परिवहन विमान, 10 डोर्नियर विमान और 20 हेलीकॉप्टर को कामों पर लगाया है.

सेना की ओर से बताया गया कि 6 मई तक वायुसेना के विमानों ने कोविड-संबंधी कर्तव्यों का पालन करते हुए लगभग 400 घंटे उड़ान भरी है. राजनाथ सिंह ने बताया कि सेना, नौसेना और वायु सेना किस तरह से देशवासियों की जान बचाने में लगी हुई हैं. उन्होंने बताया कि इस वायरस से निपटने के लिए सेना को आपात वित्तीय शक्तियां दी गई है ताकि कमांडरों को पृथकवास केंद्र से लेकर अस्पताल बनाने तक कोई भी सामान खरीदने के लिए असुविधा का सामना ना करना पड़े.

उन्होंने बताया कि डीआरडीओ, कैंटॉनमेंट बोर्ड, सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा जैसे विभिन्न रक्षा संगठनों ने कई स्थानों पर कई कोविड अस्पताल स्थापित किये हैं. वहीं, बड़े शहरों में सेना से जुड़े अस्पतालों की व्यवस्थाएं बढ़ाई जा रही है. रक्षा मंत्री ने बताया कि वायु मार्ग से जल्द से जल्द ऑक्सीजन पहुंचाने की जिम्मेदारी वायु सेना ने ली हुई है. देश ही नहीं विदेशों से ऑक्सीजन लाने का काम भी वायुसेना कर रही है. इसके अलावा वायुसेना ऑक्सीजन कंटेनर भी विदेशों से ला चुकी है.

राजनाथ ने बताया कि इसी प्रकार नौसेना ने भी अपनी कई जहाजों को ऑक्सीजन पहुंचाने में लगाया हुआ है. नौसेना ने ऑक्सीजन की पहली खेप आईएनएस तलवार के जरिए बहरीन से कर्नाटक के मंगलौर पहुंचायी थी. इसके अलवा नौसेना के आईएनएस जलस्व और आईएनएस ऐरावत के जरिए कोलकाता और कोच्चि में ऑक्सीजन टेंक भेजे गये.

Posted By: Amlesh Nandan.

Exit mobile version