‘सेना में युवाओं को मिले तीन साल की इंटर्नशिप’ कोरोना संकट में बढ़ी बेरोजगारी के बीच जबरदस्त सुझाव

कोरोनावायरस संकट के बीच संस्थाओं द्वारा तरह-तरह के सुझाव दिए जा रहे हैं. कई सुझाव बीमारियों से बचने के लिए होते हैं, तो कई सुझाव इस बीमारी से पड़ रहे असर से निपटने के लिए. इसी क्रम ताजा सुझाव सेना की तरफ से है, जिसकी खासे चर्च हो रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 14, 2020 10:22 AM

नयी दिल्ली : कोरोनावायरस संकट के बीच संस्थाओं द्वारा तरह-तरह के सुझाव दिए जा रहे हैं. कई सुझाव बीमारियों से बचने के लिए होते हैं, तो कई सुझाव इस बीमारी से पड़ रहे असर से निपटने के लिए. इसी क्रम ताजा सुझाव सेना की तरफ से है, जिसकी खासे चर्च हो रही है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सेना ने मंत्रालय को एक नोट लिखकर में सुझाव दिया है. सुझाव के मुताबिक कोरोना आपदा से प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था को ठीक करने और बेरोजगारी कम करने के लिए सेना तीन साल की इंटर्नशिप प्रोग्राम चलायेगी. इस प्रोग्राम के तहत अधिकारियों और सैनिकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा.

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि यह प्रोग्राम उन युवाओं के लिए होगा, जो सेना में करियर तो नहीं बनाना चाहता है, लेकिन राष्ट्रवाद और देशभक्ति से ओतप्रोत है और सेना के काम का रोमांच लेना चाहते हैं. सेना ने इस तीन साल के प्रोग्राम को टूर ऑफ ड्यूटी नाम दिया है.

Also Read: जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़

सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया कि इस तरह के प्रस्ताव पर चर्चा जरूर है, लेकिन अभी इसपर कोई आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है. हालांकि उन्होंने बताया कि इसका पहले ट्रायल किया जायेगा उसके बाद इसका विस्तार किया जायेगा.

80-85 लाख होंगें खर्च– सेना का मानना है कि इस प्रोग्राम में 80-85 लाख रूपये तीन साल में खर्च होंगे. वहीं बताया जा रहा है कि सेना के ही जवानों के बजट से इसकी भरपाई करने की भी योजना है, जिससे सरकार पर अतिरिक्त बोझ न पड़े. बता दें कि इससे पहले कई सर्वे में कहा गया है कि बेरोजगारी के इस संकट में प्रशिक्षित प्राप्त युवाओं को नौकरी जल्दी मिलेगी. कई बड़ी कंपनियों में इन युवाओं के लिए नौकरी के रास्ते खुलेंगे.

राज्यसभा पिछले साल में एक लिखित सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया था कि कई सालों से भारतीय सेना में अधिकारियों की कमी लगातार बनी हुई है, जिसमें थल सेना में 45 हजार से अधिक सैनिकों की कमी है, जिसमें लेफ्टिनेंट रैंक से उपर के 7000 अधिकारियों की कमी भी शामिल है.

Next Article

Exit mobile version