Indian Navy: चीनी जासूसी पर भारतीय नौसेना की नजर, अमेरिका से कई हथियारों को खरीदने की तैयारी
चीन से संभावित चुनौतियों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि नौसना हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के विभिन्न सैन्य एवं जासूसी पोत की आवाजाही पर कड़ी नजर रख रही है.
चीन की बढ़ती नौसैन्य ताकत की पृष्ठभूमि में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि भारतीय नौसेना अपनी संपूर्ण सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए दूसरे स्वेदशी विमान वाहक पोत (आईएसी) के बारे में विचार कर रही है. नौसेना ने अमेरिका से प्रीडेटर समेत कई उपकरणों को खरीदने वाली है. हरि कुमार ने बताया कि नौसेना को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए 2047 की समयसीमा तय की गयी है.
चीन के जासूसी पोत पर भारतीय नौसेना की नजर
हरि कुमार ने नौसेना दिवस से एक दिन पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय नौसेना अगले साल साल से महिलाओं के लिए अपनी सभी शाखाएं खोलने वाली है. चीन से संभावित चुनौतियों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि नौसना हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के विभिन्न सैन्य एवं जासूसी पोत की आवाजाही पर कड़ी नजर रख रही है.
आईएसी 2 पर विचार कर रही नौसेना
नौसेना प्रमुख ने कहा कि नौसेना इस बारे में विचार कर रही है कि स्वदेशी विमान वाहक पोत (आईएसी)2 की दिशा में आगे बढ़ा जाए, या आईएसी-1 का आर्डर दोहराने को प्राथमिकता दी जाए. नौसेना आईएसी-2 पर जोर दे रही है. इस पर 50,000 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है. जब नौसेना प्रमुख से आईएसी-2 के बारे में पूछा गया, तब उन्होंने कहा, ‘हम अब भी इसबारे में विचार कर रहे हैं कि इसका आकार क्या होना चाहिए और उसकी क्षमता क्या होनी चाहिए? फिलहाल हमने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है क्योंकि हमने अभी-अभी आईएनएस विक्रांत को नौसेना के बेड़े में शामिल किया है.
आईएनएस विक्रांत पर 23,000 करोड़ का किया खर्च
भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमान वाहक आईएनएस विक्रांत (आईएसी-1) को सितंबर में नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया. इस विमानवाहक पोत पर करीब 23,000 करोड़ रूपये का खर्च आया था. इस मुद्दे से अवगत लोगों का कहना है कि आईएसी-2 के निर्माण की लागत चर्चा का बड़ा विषय है क्योंकि रक्षा प्रतिष्ठान में एक दृष्टिकोण यह है कि नौसेना को विमान वाहक पोत पर 50,000 करोड़ रुपये खर्च करने के बजाय पनडुब्बियों के अपने बेड़े को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए.
(भाषा- इनपुट के साथ)