भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया सलाइन गार्गल RT-PCR कोरोना टेस्टिंग किट, महज 3 घंटे में मिलेगा रिजल्ट

नयी दिल्ली : भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस संक्रमण (Coronavirus) की जांच के लिए एक नया आरटी-पीसीआर टेस्टिंग किट (Saline Gargle RT-PCR) तैयार किया है. इससे महज तीन घंटे में ही टेस्ट के नतीजे प्राप्त हो जायेंगे. इस टेस्टिंग किट को राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने बनाया है. बताया गया यह सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर कोविड-19 टेस्टिंग किट स्वाग के नमूने से तीन घंटे में परिणाम दे सकती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2021 9:17 AM
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नयी दिल्ली : भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस संक्रमण (Coronavirus) की जांच के लिए एक नया आरटी-पीसीआर टेस्टिंग किट (Saline Gargle RT-PCR) तैयार किया है. इससे महज तीन घंटे में ही टेस्ट के नतीजे प्राप्त हो जायेंगे. इस टेस्टिंग किट को राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने बनाया है. बताया गया यह सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर कोविड-19 टेस्टिंग किट स्वाग के नमूने से तीन घंटे में परिणाम दे सकती है.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने पिछले हफ्ते इस नयी टेस्टिंग किट को मंजूरी दे दी है. आईसीएमआर ने NEERI को इसके उपयोग के लिए देश के सभी लैब तकनीशियनों को प्रशिक्षित करने का निर्देश दिया है. आईसीएमआर ने इसे देश भर में अपनाने के लिए भी कहा है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका इस्तेमाल काफी आसान है.

सलाइन गार्गल विधि आरटी-पीसीआर किट के कई लाभ हैं. यह सरल, तेज, कम लागत वाला, रोगी के अनुकूल और आरामदायक है. यह तत्काल परिणाम प्रदान करता है और न्यूनतम बुनियादी ढांचा आवश्यकताओं को देखते हुए ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त है. इसमें स्वाब कलेक्ट करने का झंझट नहीं है और तुरंत परिणाम भी सामने होता है.

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एनईईआरआई के पर्यावरण विषाणु विज्ञान प्रकोष्ठ के वरिष्ठ वैज्ञानिक कृष्णा खैरनार कहते हैं कि स्वाब संग्रह विधि के लिए समय की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, चूंकि यह एक आक्रामक तकनीक है, इसलिए यह रोगियों के लिए थोड़ा असहज है. सैंपल को कलेक्शन सेंटर ले जाने में भी कुछ समय बर्बाद होता है. दूसरी ओर, सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर विधि तत्काल, आरामदायक और रोगी के अनुकूल है. नमूना तुरंत लिया जाता है और परिणाम तीन घंटे के भीतर प्राप्त किया जा सकता है.

कैसे करता है काम

उन्होंने कहा कि यह इतना सरल है कि रोगी स्वयं नमूना एकत्र कर सकते हैं. जबकि नाक और मुंह से स्वैब संग्रह जैसी विधि के लिए तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है. इसमें ज्यादा समय भी लगता है. वहीं, सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर विधि सलाइन सॉल्यूशन से भरी साधारण कलेक्ट ट्यूब का उपयोग करती है. रोगी घोल से गरारे करता है और उसे ट्यूब के अंदर छोड़ देता है. संग्रह ट्यूब में यह नमूना प्रयोगशाला में ले जाया जाता है जहां इसे कमरे के तापमान पर नीरी द्वारा तैयार एक विशेष बफर समाधान में रखा जाता है.

इस घोल को गर्म करने पर एक आरएनए टेम्प्लेट तैयार किया जाता है, जिसे आगे रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) के लिए प्रोसेस किया जाता है. नमूना एकत्र करने और संसाधित करने की यह विशेष विधि आरएनए निष्कर्षण की ज्यादा महंगी ढांचागत आवश्यकता को बचाने में सक्षम बनाती है. लोग स्वयं का परीक्षण भी कर सकते हैं. यह विधि पर्यावरण के अनुकूल भी है, क्योंकि अपशिष्ट उत्पादन कम से कम होता है.

Posted By : Amlesh Nandan.

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