ऊंचाई पर जंग लड़ने में माहिर थे CDS बिपिन रावत, 2015 में हेलिकॉप्टर दुर्घटना में चमत्कारिक रूप से बची थी जान

मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में जन्मे जनरल बिपिन रावत वर्ष 1978 में सेना 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में शामिल हुए थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2021 6:09 PM
an image

नई दिल्ली : तमिलनाडु के कुन्नूर में दुर्घटनाग्रस्त हुए वायुसेना के एमआई-17वी5 में सवार देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) और भारतीय सेना के तीनों अंगों के पूर्व चीफ जनरल बिपिन रावत ऊंचाई या पहाड़ों पर जंग करने में माहिर रहे हैं. उनकी काबिलियत को देखकर ही सरकार ने उन्हें सेना के तीनों अंगों का प्रमुख बनाया था. 30 दिसंबर 2019 को रिटायर होने के बाद केंद्र सरकार ने उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया था. बता दें कि जनरल बिपिन रावत एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चमत्कारिक रूप से बच गए थे, जब वे दीमापुर स्थित सेना मुख्यालय कोर 3 के कमांडर थे.

1978 में सेना में शामिल हुए थे जनरल बिपिन रावत

मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में जन्मे जनरल बिपिन रावत वर्ष 1978 में सेना 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में शामिल हुए थे. इसके बाद उन्हें वर्ष 1979 में मिजोरम में पहली बार नियुक्त किया गया था. सबसे बड़ी बात यह है कि जनरल बिपिन रावत ऊंचाई पर जंग लड़ने में माहिर रहे हैं. इसके साथ ही, काउंटर इनसर्जेंसी ऑपरेशन यानी जवाबी कार्रवाई करने में भी वे एक्सपर्ट थे. इसके अलावा, उन्हें कश्मीर का एक्सपर्ट के तौर पर भी जाना जाता रहा है.

एलओसी और चीन की सीमाओं पर ज्यादा वक्त तक रहे तैनात

इतना ही नहीं, जनरल बिपिन रावत मीडिया स्ट्रेटजी में भी डॉक्टरेट की उपाधि हासिल किए हुए थे. साल 2011 में उन्होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि दी गई थी. अपने 38 साल के सेवाकाल के दौरान उन्होंने एलओसी (नियंत्रण रेखा), चीन की सीमा और पूर्वोत्तर भारत में लंबा समय गुजारा है.

जनरल रावत के पिता लक्ष्मण सिंह भी सेना में रहे थे लेफ्टिनेंट जनरल

16 मार्च, 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में पैदा हुए जनरल रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी सेना में रहे हैं. वे लेफ्टिनेंट जनरल पद से रिटायर हुए. स्कूली शिक्षा के बाद बिपिन रावत ने इंडियन मिलिट्री अकेडमी, देहरादून और फिर डिफेंस स्टाफ कॉलेज में प्रवेश लिया. उन्हें 16 दिसंबर, 1978 को 11 गोरखा रायफल्स की 5वीं बटालियन में कमीशन मिला. उनके पिता भी इसी बटालियन का हिस्सा रहे थे. उनकी पहली पोस्टिंग मिजोरम में हुई थी और उन्होंने इस बटालियन का नेतृत्व भी किया. इस दौरान उनकी बटालियन को उत्तर पूर्व की सर्वश्रेष्ठ बटालियन चुना गया.

Also Read: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के बयान पर बिफरा चीन, बौखलाहट में टकराव बढ़ने की दे रहा गीदड़ भभकी
कई अहम पदों पर निभा चुके हैं जिम्मेदारी

अपने करियर के दौरान सीडीएस जनरल बिपिन रावत पूर्वी क्षेत्र में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल, कश्मीर घाटी के इंफेंट्री डिवीजन में राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर के साथ डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड के मुखिया रह चुके हैं. जनरल रावत को अशांत इलाकों में काम करने का लंबा अनुभव है. मिलिट्री फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी क्षेत्र में आतंकवाद और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष को उन्होंने करीब से देखा है.

Exit mobile version