Republic Day History: भारत का 76वां गणतंत्र दिवस कल मनाया जाएगा. गणतंत्र दिवस परेड पर हर साल की तरह इस बार भी सबकी नजरें टिकी रहेंगी. कर्तव्य पथ पर विविधता और राज्यों की संस्कृति को दर्शाने वाली 26 झांकियां सजाई जाएगी. यह झांकियां देश की सांस्कृतिक धरोहर और समृद्धि को प्रदर्शित करती हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश का पहला गणतंत्र दिवस कैसा था? जब 1950 में भारत ने अपना संविधान लागू किया, तो इस ऐतिहासिक मौके पर दिल्ली में पहली बार एक भव्य परेड का आयोजन हुआ था. इस परेड में 3,000 जवानों ने मार्च किया और राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सामने सेना ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया. वायुसेना के विमानों ने आसमान में करतब दिखाए, जबकि तोपों की सलामी भी दी गई. उस समय परेड दिल्ली के एक स्टेडियम में आयोजित की गई थी, और यह गणतंत्र दिवस का ऐतिहासिक प्रारंभ था.
1950 से 1954 तक अलग-अलग जगह हुआ था परेड
भारत के गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन 1950 से 1954 तक विभिन्न स्थलों पर किया गया था. कभी किंग्सवे, कभी लाला किला मैदान, और कभी रामलीला मैदान में परेड का आयोजन किया गया था. साल 1955 से यह परेड स्थायी रूप से राजपथ (जो ब्रिटिश काल में किंग्सवे के नाम से जाना जाता था) पर आयोजित होने लगी. राजपथ का नाम बाद में बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया.
साल 1955 के परेड में भारत आए थे पाकिस्तान के गवर्नर जनरल
साल 1955 के गणतंत्र दिवस परेड में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था. 1965 में भी पाकिस्तान के राणा अब्दुल को मुख्य अतिथि बनाया गया था. लेकिन भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव आने के बाद से किसी भी पाकिस्तानी अधिकारी को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर नहीं बुलाया गया. इस बार गणतंत्र दिवस परेड में भारत के मित्र देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया जाता है। इस साल, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है, जो 25 और 26 जनवरी को भारत में रहेंगे