बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस: 19 जुलाई 1969 को इंदिरा गांधी ने 14 बैंकों का किया था राष्ट्रीयकरण, अब निजीकरण !

बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस: देश के बैंकिंग इतिहास में 19 जुलाई को महत्वपूर्ण माना जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 19 जुलाई 1969 को 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 19, 2022 10:13 AM
an image

नई दिल्ली : आज 19 जुलाई है औ आज से करीब 53 साल 19 जुलाई 1969 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत के 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था. आज करीब 50 साल बाद केंद्र की मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने जा रही है. इससे पहले केंद्र की मोदी सरकार ने वर्ष 2017 से ही सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का आपस में विलय की योजना बनाई और वर्ष 2019 में 10 बैंकों का आपस में विलय करके 12 बड़े बैंक बनाए गए. इसके बाद वर्ष 2021-22 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव पेश किया, जिसकी प्रक्रिया अब भी जारी है. बता दें कि बैंकों के निजीकरण को लेकर बैंक संगठनों ने हड़ताल भी की है. आइए, जानते हैं कि इंदिरा गांधी ने 53 साल पहले किन-किन बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया और मोदी सरकार ने किन-किन बैंकों का आपस में विलय करके निजीकरण करने की योजना बनाई है.

1969 में इंदिरा गांधी ने 14 निजी बैंकों का किया था राष्ट्रीयकरण

देश के बैंकिंग इतिहास में 19 जुलाई को महत्वपूर्ण माना जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 19 जुलाई 1969 को 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था. इन बैंकों पर अधिकतर बड़े औद्योगिक घरानों का कब्जा था. राष्ट्रीयकरण का दूसरा दौर 1980 में आया, जिसके तहत सात और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया. वर्ष 1969 में इंदिरा गांधी ने जिन 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, उनमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक, यूको बैंक, केनरा बैंक, यूनाइटेड बैंक, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं.

1980 में सात बैंकों का किया गया राष्ट्रीयकरण

19 जुलाई 1969 के बाद वर्ष 1980 में भी करीब सात बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था. 1980 में जिन सात बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, उनमें आंध्रा बैंक, कारपोरेशन बैंक, न्यू बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध बैंक और विजया बैंक आदि शामिल हैं.

2017 में एसबीआई के सब्सिडियरी बैंकों विलय

केंद्र में वर्ष 2014 में मोदी सरकार के गठन के बाद 2017 से ही बैंकों के विलय और उनके निजीकरण को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई. सबसे पहले वर्ष 2017 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के पांच सब्सिडियरी बैंकों विलय किया गया. एसबीआई के पांच सब्सिडियरी बैंक में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद शामिल थे, जिनका एसबीआई में विलय हो गया था.

2019 में 10 बड़े बैंकों का किया गया विलय

एसबीआई के सब्सिडियरी बैंकों का आपस में विलय के करीब दो साल बाद सरकार ने वर्ष 2019 में करीब 10 राष्ट्रीयकृत बैंकों का आपस में विलय कर दिया. वर्ष 2019 में जिन बैंकों का आपस में विलय किया गया, उनमें ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक में विलय किया गया. इसके अलावा, सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक में, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में, इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में और देना बैंक व विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा ऑफ बड़ौदा में विलय किया गया.

2019 में विलय के देश में बनाए गए 12 बड़े बैंक

वर्ष 2019 में भारत के 10 सार्वजनिक क्षेत्र के विलय के बाद 10 बड़े बैंक बनाए गए. इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, यूनियन बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूको बैंक शामिल हैं.

Also Read: Explainer : इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान भारत में भी लगा था आपातकाल, जानें इमरजेंसी का पूरा A To Z
बैंकों का निजीकरण के लिए बजट में प्रस्ताव

वर्ष 2019 में 10 सरकारी बैंकों का आपस में विलय कराने के बाद सरकार ने निजीकरण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2021-22 के सालाना बजट में आरंभिक तौर पर दो सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव पेश किया. एक रिपोर्ट मुताबिक, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के साथ अन्य बैंकों के निजीकरण की योजना बना चुकी है. हालांकि, सरकार की ओर आधिकारिक तौर पर इसका ऐलान नहीं किया गया है. सरकार बैंकों में अपनी 51 फीसदी की हिस्सेदारी को घटाकर 26 फीसदी पर लाना चाहती है.

Exit mobile version