विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान जारी करते हुए कहा की ‘हमने पाकिस्तान को 1960 की सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए 25 जनवरी को नोटिस जारी किया है. मगर मुझे अब तक पाकिस्तान या विश्व बैंक की ओर से किसी भी तरह की प्रतिक्रिया की जानकारी नहीं मिली है
#WATCH हमने पाकिस्तान को 1960 की सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए 25 जनवरी को नोटिस जारी किया है। मुझे पाकिस्तान या विश्व बैंक की ओर से किसी भी तरह की प्रतिक्रिया की जानकारी नहीं मिली है: सिंधु जल संधि पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची pic.twitter.com/k6FtvmHwBE
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 2, 2023
क्या है पूरा मामला?
दरअसल भारत सिंधु जल संधि में बदलाव चाहता है, लेकिन पाकिस्तान इसे टाल रहा है. वो भारत से सीधी बात न करते हुए बार-बार वर्ल्ड बैंक के पास पहुंच जाता है. भारत ने इस नोटिस के जरिए पाकिस्तान को IWT के उल्लंघन (मटेरियल ब्रीच) को सुधारने के लिए 90 दिनों में इंटर गवर्नमेंट नेगोशिएशन करने का मौका दिया है. यह पहली बार है जब भारत ने सिंधु जल समझौते में संशोधन की मांग की है. दरअसल पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा और रतले हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (HEPs) को लेकर आपत्ति जताई थी. इसकी जांच के लिए पाकिस्तान ने 2015 में एक न्यूट्रल एक्सपर्ट की नियुक्ति की मांग की थी. 2016 में पाकिस्तान ने एकतरफा रूप से इस मांग को वापस ले लिया था. इसके तुरंत बाद वो कोर्ट ऑफ आरबिट्रेशन के पास पहुंच गया था. वो चाहता था कि कोर्ट ऑफ आरबिट्रेशन इन आपत्तियों पर फैसला करे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान की ये हरकत IWT के डिस्प्यूट सेटलमेंट के आर्टिकल IX के खिलाफ है. भारत ने इस मुद्दे को अलग से एक न्यूट्रल एक्सपर्ट के पास भेजने की मांग की थी. तब वर्ल्ड बैंक का कहना था कि एक ही मुद्दे पर समानांतर कार्रवाई कानूनी रूप से अस्थिर स्थिति पैदा कर सकती है.