एक तरफ चीन सीमा पर अपनी ताकत बढ़ा रहा है, उसकी ओर से लगातार एलएसी पर विवाद खड़ा किया जा रहा है. तो दूसरी ओर पाकिस्तान भी अपनी भारत विरोधी अभियानों में लगा है. दोनों ओर से दुश्मनों से घिरे भारत ने भी अपनी सैन्य तैयारी बढ़ा रहा है. इसी कड़ी में भारत ने स्वदेशी निर्मित एंटी-सबमरीन युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती (INS Kavaratti) को नौसेना में शामिल किया है. इस युद्धपोत की सबसे बड़ी खासियत है कि यह रडार की पकड़ में नहीं आता है. आईएनएस कवरत्ती अत्याधुनिक हथियार प्रणाली से लैस है. इसमें, ऐसे सेंसर लगे हैं जो पनडुब्बियों का पता लगाने और उनका पीछा करने में सक्षम है.
दुश्मनों के दांत खट्टे कर देने वाले इस जंगी जहाज को सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने आज नौसेना के बेड़े में शामिल किया. इस पोत को डिजाइन भारतीय नौसेना के डायरेक्टॉरेट ऑफ नेवल डीजाइन ने किया है. इसे कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने बनाया है.
मुख्य बातें : –
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यह रडार की पकड़ में नहीं आता
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अत्याधुनिक हथियार प्रणाली से लैस है
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नौ सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने आज नौसेना के बेड़े में शामिल किया
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भारतीय नौसेना के डायरेक्टॉरेट ऑफ नेवल डीजाइन ने इसे डिजाइन किया है
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पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम
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युद्धपोत में लगी 90 फीसदी चीजें स्वदेशी निर्मित हैं
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लंबी दूरी के अभियानों के लिए एकदम सटीक
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भारत की समुद्री ताकत में कई गुणा इजाफा
#WATCH Andhra Pradesh: Anti-Submarine Warfare Corvette “INS Kavaratti” commissioned into Indian Navy by Indian Army Chief General Manoj Mukund Naravane at Naval Dockyard, Visakhapatnam. pic.twitter.com/1B9jJdD0K4
— ANI (@ANI) October 22, 2020
अत्याधुनिक हथियार प्रणाली : आईएनएस कवरत्ती को लेकर नौसेना का कहना है कि यह अत्याधुनिक हथियार प्रणाली से लैस है. इसमें ऐसे सेंसर लगे हैं जो पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम है. इस युद्धपोत में लगी 90 फीसदी चीजें स्वदेशी निर्मित हैं. नौसेना में इसके् शामिल हो जाने से भारत की समुद्री ताकत में कई गुणा इजाफा हो गया है.
नौसेना की बढ़ी ताकत : आईएनएस कवरत्ती के नौसेना में शामिल हो जाने से नौसेना की कई गुणा बढ़ गई है. यह एक ऐसा युद्धपोट है जो लंबी दूरी के अभियानों के लिए एकदम सटीक है. कवरत्ती दरअसल,प्रोजेक्ट-28 के तहत देश में निर्मित चार पनडुब्बी रोधी जंगी पोत का आखिरी जहाज है. इससे पहले तीन युद्धपोत भारतीय नेवी को सौंपे जा चुके हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार आईएनएस कवरत्ती को यह नाम युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती के नाम पर हप मिला है. दरअसल, 1971 में हुए भारत-पाकिस्तीन युद्ध में आईएनएस कवरत्ती ने बड़ी अहम भूमिका निभाई थी.
Posted by : Pritish Sahay