समुद्र में भारत की ताकत बढ़ जाएगी. भारतीय नौसेना चौथी स्टेल्थ स्कॉर्पीन-क्लास सबमरीन को बेड़े में शामिल कर लिया गया है. 25 नवंबर 2021 गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान मुबंई में INS वेला नौसेना डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह की उपस्थिति में नौसेना में शामिल हुई.
महाराष्ट्र: INS वेला, चौथी स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी, मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह की उपस्थिति में नौसेना में शामिल हुई। pic.twitter.com/xe6tIMs8Gx
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 25, 2021
वहीं, इस मौके पर आईएनएस वेला के कमांडिंग ऑफिसर अनीष मैथ्यू ने बताया, यह हम सभी के लिए गर्व का अवसर है. इस पनडुब्बी में बैटरी और आधुनिक संचार व्यवस्था देश में ही बनाया गया है. इसलिए इसके नौसेना में शामिल होने से आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी बढ़ावा मिलेगा.
हिंद महासागर में चीन को रोकेगा INS Vela
आईएएस वेला के नौसेना के बेड़े में शामिल होने के साथ ही हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में मदद मिलेगा. समुद्री सुरक्षा के तहत ये एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इससे समुद्र के अंदर भी सेना की शक्ति बढ़ेगी.
वहीं, आपको बता दें कि इससे पहले 21 नवंबर को नौसेना ने एक गाइडेड मिसाइल विध्वंसक पोत( डेस्ट्रॉयर) विशाखापत्तनम को भी नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया था. इसे भी आत्मनिर्भर भारत अभियान को सशख्त करने की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम था. इसके 75 फीसदी उपकरण स्वदेश में बनाए गए हैं. हालांकि विशाखापत्तनम को लेकर कैप्टन बीरेंद्र सिंह ने कहा कि ये कमीशनिंग के बाद इसका कुछ परीक्षण जारी रखा जाएगा.
आईएनएस वेला की खासियतें
आईएनएस वेला करीब 67.5 मीटर लंबी और 12.3 मीटर ऊंची है. यह पनडुब्बी 300 से 400 मीटर तक समुद्र के अंदर गोता लगा सकती है. आईएनएस वेला को साइलेंट किलर के समान बताया जा रहा है क्योंकि ये बड़े ही खामोशी से दुश्मन का शिकार करने की शक्ति रखता है.बता दें कि आईएनएस वेला को 7 मई 2019 को लॉन्च किया गया था. वेला के सभी परीक्षण पूरे हो चुके हैं और ये दुश्मनों से लड़ने के लिए पूरी तरह से योग्य है. कोविड प्रतिबंधों के बावजूद हथियार और सेंसर परीक्षणों के साथ साथ प्रमुख बंदरगाह और समुद्री परीक्षणों को पूरा किया गया है.