स्वदेश निर्मित विमानवाहक युद्धपोत विक्रांत को दो सितंबर को नौसेना की सेवा में शामिल करने के लिए शुक्रवार को इसके चालक दल के 1600 सदस्यों और अन्य कर्मियों ने कड़ी मेहनत की. विक्रांत पोत का वजन 45,000 टन है. इसे यहां कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड में रखा गया है
युद्धपोत को नौसेना में शामिल करने के लिए होने वाले हाईप्रोफाइल कार्यक्रम से पहले इसकी पेंटिंग और सफाई कार्य किया जा रहा है. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो रहे हैं.
विक्रांत पोत का वजन 45,000 टन है. इसे यहां कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड में रखा गया है, जहां इसे निर्मित किया गया है. पूरे क्षेत्र में 2,000 से अधिक असैन्य कर्मी और नौसेना कर्मी जोर-शोर से अंतिम क्षणों की तैयारियों में जुटे हुए हैं.
प्रधानमंत्री को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देने के लिए नौसेना के 100 सदस्यों की एक टीम अपने बैंड के साथ अभ्यास करते देखी गई.
पोत विक्रांत ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी,जिसके नाम पर इसका नाम रखा गया है. पोत को नौसेना की सेवा में शामिल किये जाने के बाद इस पर विमानों को उतारने का परीक्षण किया जाएगा.
पोत पर तीन महीने के लिए दवाइयां और सर्जरी में उपयोग आने वाले उपकरण सदा उपलब्ध होंगे. पोत पर तीन रसोई होंगी जो इसके चालक दल के 1,600 सदस्यों के भोजन की जरूरतों को पूरा करेंगी.
इस पोत का डिजाइन नौसेना के वारशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है और इसका निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है. पोत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है तथा इसकी अधिकतम गति 28 नॉट है.
विक्रांत में करीब 2,200 कंपार्टमेंट हैं, जो इसके चालक दल के करीब 1,600 सदस्यों के लिए हैं जिनमें महिला अधिकारी और नाविक भी शामिल हैं. विक्रांत ने पिछले साल 21 अगस्त से अब तक समुद्र में परीक्षण के कई चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.